हरसू हत्याकांड में पांकी विधायक को क्लीन चिट
सच्चाई की जीत होती है। समय चाहे जितना भी लगे। हम डंके की चोट पर शुरू से ही कहते आए हैं कि हम पर एक भी कोई अपराधिक मामला नहीं है और न हो सकता है। जो आज सीआईडी का अंतिम प्रतिवेदन से साबित भी हो गया है।
संवाद सूत्र , मेदिनीनगर : पलामू जिले का बहुचर्चित हरसू हत्याकांड में पांकी विधायक देवेंद्र कुमार सिंह उर्फ बिट्टू सिंह समेत सभी आरोपितों को क्लीन चिट मिल गया है। केस का अनुसंधान कर रही सीआइडी ने शुक्रवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पलामू के कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन संख्या 238/2019 समर्पित किया है। इसमें अनुसंधान पदाधिकारी सीआइडी झारखंड के पुलिस निरीक्षक बाबू राम भगत ने अपने प्रतिवेदन में बताया है कि अनुसंधान के दौरान अप्राथमिकी अभियुक्त अमित कुमार सिंह पिता उदय सिंह, बिट्टू सिंह पिता स्वर्गीय विदेश सिंह, मनोज सिंह व कारू सिंह (अब मृत) दोनों पिता स्वर्गीय बिहारी सिंह का नाम आया। काफी छानबीन के बाद भी इनके विरोध कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला। साक्ष्य के अभाव में अनुसंधान को बंद किया व अंतिम प्रतिवेदन समर्पित किया है। मालूम हो कि 18 अप्रैल 2009 को हरसू सिंह की हत्या हुई थी। इसके विरोध मेदिनीनगर शहर के दो नबंर टाउन निवासी कौशलेंद्र कुमार सिंह पिता गुप्तेश्वर प्रसाद सिंह ने मेदिनीनगर शहर थाना में कांड संख्या 128 /2009 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले में वादी के फर्द बयान के आधार पर 19 अप्रैल 2009 को अज्ञात अपराधकर्मियों के विरुद्ध कांड दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया गया था। इसी बीच इस कांड के अनुसंधान की जिम्मेवारी अपराध अनुसंधान विभाग झारखंड रांची को सौंपा गया। इधर अनुसंधान में हो रहे विलंब पर कुछ दिन पहले उच्च न्यायालय ने भी आपत्ति जाहिर की थी। सीआईडी ने न्यायालय को दिए गए अंतिम प्रतिवेदन में पांकी विधायक देवेंद्र कुमार सिंह को हरसू हत्याकांड से क्लीन चिट मिल गया है।
क्या कहते हैं विधायक
पांकी विधायक देवेंद्र कुमार सिंह उर्फ बिट्टू सिंह ने कहा कि सच्चाई की जीत होती है। समय चाहे जितना भी लगे। हम डंके की चोट पर शुरू से ही कहते आए हैं कि हम पर एक भी कोई अपराधिक मामला नहीं है और न हो सकता है। जो आज सीआईडी का अंतिम प्रतिवेदन से साबित भी हो गया है। कहा कि चुनाव आचार संहिता मामला को छोड़कर मेरे ऊपर किसी भी तरह का कोई मामला नहीं है। सत्य परेशान हो सकता है परंतु पराजित नहीं हो सकता या कहावत चरितार्थ हो गई है।