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पलामू -चतरा सीमा के गांव बदहाल, सड़क जर्जर

गांव की कहानी लीड-------- बुनियादी सुविधाओं से वंचित गांवों की दास्तां उपेक्षित महसूस कर रहे

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 06:35 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 06:35 PM (IST)
पलामू -चतरा सीमा के गांव बदहाल, सड़क जर्जर
पलामू -चतरा सीमा के गांव बदहाल, सड़क जर्जर

गांव की कहानी

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बुनियादी सुविधाओं से वंचित गांवों की दास्तां, उपेक्षित महसूस कर रहे ग्रामीण तौहीद रब्बानी,

मेदिनीनगर (पलामू): दैनिक जागरण की टीम विकास का हाल जानने के लिए निकली। यह टीम पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से 57 किमी दूर पलामू-चतरा जिला की सीमा पर बने चाको नदी पुल के पास पहुंची। पांकी प्रखंड मुख्यालय से हिचकोले खाते हुए टीम 7 किमी दूर लोहरसी पगार पंचायत पहुंची। इसके बाद 5 किमी उबड़-खाबड़ जर्जर सड़कों के अवशेष से गुजरते हुए यह टीम शाम को चाको नदी पुल के पास पहुंची। पुल पार करते ही चतरा जिला के लावालौंग प्रखंड के कलगी गांव को देखा। इस सफर में पाया कि झारखंड निर्माण के 20 साल बीत गए। झारखंड के पलामू व चतरा जिला के प्रभावित इलाकों से नक्सलियों की धमक खत्म हो गई है। दोनों जिला की सीमा को जोड़ने के लिए चाको नदी (काफी गहरी पहाड़ी नदी) पर नया पुल बन गया है। बावजूद इन दोनों जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों की किस्मत आज तक नहीं बदली। आज भी पलामू जिला के पांकी प्रखंड के वनखेता व चतरा जिला के लावालौंग प्रखंड के कलगी गांव समेत कई गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां तक कि ग्रामीणों को पीने के लिए पानी व चलने के लिए सड़क तक नहीं है। इंदिरा व प्रधानमंत्री आवास तक ग्रामीणों को नहीं मिला है। शिक्षा व चिकित्सा तो दूर की बात है। चतरा के कलगी गांव में बिजली नहीं पहुंची है। पलामू के वनखेता में बिजली तो पर 24 घंटे में महज 7-8 घंटे ही बिजली मिलती है। दोनों गांव के ग्रामीणों ने कहा कि वे आज भी विकास से कोसों दूर हैं। कागज पर विकास की गाथा लिखी जा रही होगी तो उन्हें नहीं मालूम। रोगियों का इलाज कराना व बच्चों को पढ़ाना आज भी इनके लिए मुश्किल है। मुसीबतों में सिसकियां भरने के अलावे उनके पास कोई चारा नहीं है। बाक्स: ग्रामीणों की नजर में विकास बाक्स: फोटो: 02 डीजीजे 04

कैप्शन: एतवरिया देवी

दोनो जिलों को जोड़ने के लिए चाको नदी पर नया पुल तो बन गया। बावजूद सड़क की हालत जर्जर है। बीमार होने पर काई लोग किसी तरह 12 किमी चतरा के लावालौंग या पलामू के लोहरसी पगार या पांकी प्रखंड मुख्यालय जाते हैं।

एतवरिया देवी,

कलगी, लावालौंग प्रखंड ,चतरा।

बाक्स: फोटो: 02 डीजीजे 5

कैप्शन:गीता देवी।

आवागमन की समुचित सुविधा नहीं है। आज तक यहां के लोगों को कोई सरकारी आवास नहीं मिला है। बारिश के दिनों में तो कहीं जाना असंभव हो जाता है। गांव में आज तक बिजली नहीं पहु्ची है। पेयजल के लिए नदी पर निर्भर रहना पड़ता है।

गीता देवी,

कलगी,लावालौंग प्रखंड, चतरा।

बाक्स: 02 डीजीजे 08

कैप्शन:सुबोधा कुमार ठाकुर,

बिजली तो गांव में पहुंची है पर 7-8 घंटे ही रहती है। कभी-कभी कई-कई दिनों तक बिजली नहीं आती है। गांव से चतरा की ओर जाने वाली सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। गांव में पेयजल की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है।

सुबोध कुमार ठाकुर,

वनखेता,पांकी प्रखंड, पलामू। बाक्स: फोटो: 02 डीजीजे 09

कैप्श्न: प्रदीप यादव

गांव की बदहाली किसी से छुपी हुई नहीं है। पांकी-भाया लावालौंग- चतरा सड़क जर्जर है। यह सड़क बन जाती तो पलामू की चतरा से दूरी करीब 40 किमी कम हो जाती। गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं है। इस कारण गांव पिछड़ा है।

प्रदीप यादव,

तितलंगी,पांकी प्रखंड,पलामू।


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