¨हदी के बिना जीवन अधूरा : प्रियरंजन
मेदिनीनगर : ¨हदी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत से निकलकर पाली प्राकृत अपभ्रंश अवहट्ठ होते हुए खड़ी
मेदिनीनगर : ¨हदी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत से निकलकर पाली प्राकृत अपभ्रंश अवहट्ठ होते हुए खड़ी बोली ¨हदी का विकास हुआ। ¨हदी के साथ पहले अन्याय हुआ है पर अब ¨हदी हृदय की भाषा हो गई है। उक्त बातें गुलाबचंद प्रसाद अग्रवाल इंटर कालेज के प्राचार्य प्रियरंजन पाठक ने कहीं। वे शुक्रवार को विद्यालय परिसर में आयोजित ¨हदी दिवस समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने ¨हदी दिवस को ¨हदी उत्सव दिवस के रूप में मनाया। इसके पूर्व सेवानिवृत शिक्षक जनेश्वर ¨सह व प्राचार्य प्रियरंजन पाठक समेत सभी विद्यार्थियों व शिक्षाविदों ने स्वामी विवेकानंद की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। उन्होंने कहा कि ¨हदी के बिना जीवन अधूरा है। ¨हदी भाषा का कोई जोड़ नहीं। ¨हदी का अब व्यापक प्रसार हो रहा है। दूसरे देशों के लोग अब ¨हदी सीख रहे हैं। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से ¨हदी को ज्यादा से ज्यादा अपनाने पर बल दिया। प्राचार्य पाठक ने इस अवसर पर स्वरचित कविता पाठ किया। कार्यक्रम में विकास कुमार अग्रवाल, आशा तिग्गा, प्रमोद ठाकुर, अखिलेश, देवेन्द्र, रामविलास सहित कई छात्र-छात्राएं शामिल थे। सभा का संचालन प्रदीप कुमार व धन्यवाद ज्ञापन सुजीत कुमार बनपर ने किया।