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Jharkhand Road Accident: पलामू में फायबर का डिवाइडर होता तो बच जाती पिंटू की जान

Palamu News झारखंड के पलामू जिले में सड़कों पर फाइवर डिवाइडर नहीं है। इस कारण आए दिन लोगों की मौत होती है। लोहे के डिवाइडर बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं। यहां सुरक्षित यातायात के लिए पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaquePublished: Thu, 17 Nov 2022 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 17 Nov 2022 05:53 PM (IST)
Jharkhand Road Accident: पलामू में फायबर का डिवाइडर होता तो बच जाती पिंटू की जान
Jharkhand News: झारखंड के पलामू जिले में सड़कों पर खतरनाक लोहे का डिवाइडर।

पलामू, (मृत्युंजय पाठक)। एक सप्ताह पहले की घटना है। 11 नवंबर की शाम 27 वर्षीय पिंटू प्रजापति बाइक ड्राइव करते हुए पोखराहा खुर्द से मेदिनीनगर जा रहा था। रेड़मा चौक पार करते समय अनियंत्रित होकर लोहे के डिवाइडर से टकरा गया। सिर में चोट लगी और मौत हो गई। वह फोटोग्राफी का काम करता था और बर्थडे पार्टी को शूट करने जा रहा था। उसकी मौत के लिए सीधे तौर पर पलामू जिला ट्रैफिक पुलिस की आधारभूत संरचना जिम्मेवार है। उसके पिता अजय प्रजापति का मानना है कि अगर लोहे की जगह फायबर का डिवाइडर लगा होता तो उसके बेटे की जान नहीं जाती।

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जगह-जगह लगे लोहे के खतरनाक डिवाइडर

पलामू में सिर्फ रेड़मा चौक पर ही लोहे के डिवाइडर नहीं लगाए गए हैं बल्कि ऐसे कृत्य आम हैं। मेदिनीनगर शहर में छह मुहान, कचहरी मोड़, पुलिस लाइन, रांची रोड में हर जगह ट्रै्फिक को नियंत्रित करने के लिए लोहे के स्थायी और अस्थायी डिवाइडर लगाए गए हैं। जब भी बैरिकेडिंग की आवश्यकता होती है तो लोहे के डिवाइडर खड़े कर दिए जाते हैं। यह खतरनाक और जानलेवा है। इससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य रवींद्र तिवारी कहते हैं-पिंटू प्रजापति की मौत के लिए लोहे का डिवाइडर लगाने वाली ट्रैफिक पुलिस जिम्मेवार है। उन्होंने बताया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से लोहे का डिवाइडर लगाने पर सख्त मनाही है। इसके स्थान पर फायबर का डिवाइडर लगाना है। फायबर का होने पर कोई इसमें टकरा भी जाएगा तो मौत नहीं होगी। साथ ही मुख्य चौक-चौराहों पर लोहे के बजाय सीमेंट से डिवाइडर बनाने का निर्देश है। इसका पालन नहीं हो रहा है।

पलामू जिले में न ट्रैफिक पुलिस न आधारभूत संरचना

पलामू में न तो ट्रैफिक पुलिस है और न ही आधारभूत संरचना है। पलामू पुलिस के जवानों और अधिकारियों की ही ट्रैफिक में तैनानी की गई। वे ट्रैफिक पुलिस के तौर पर प्रोफेशनल नहीं होते हैं। यहां एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है। चोट लगने पर गोल्डन आवर में घायलों को सही इलाज नहीं मिल पाता है। मेदिनी राय मेडिकल कालेज एंड अस्पताल ले जाने पर घायल को रांची रिम्स रेफर कर दिया जाता है। ज्यादातर रिम्स पहुंचने से पहले रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।

जिले में पेट्रोल पंपों पर फर्स्ट एड की सुविधा उपलब्ध

सर्वे के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 75 पर स्थित सभी पेट्रोल पंपों पर फर्स्ट एड की सुविधा दिखी। रेड़मा स्थित दुर्गा पेट्रोल पंप के प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि उनके पंप किसी भी आकस्मिक स्थिति में सबसे पहले वह प्रभावित को फर्स्ट ऐड उपलब्ध करा कर ही बेहतर इलाज के लिए दूसरे जगह भेजते हैं।

कम संसाधन में बेहतर करने की कोशिश : एसएसपी

एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा का कहना है कि पलामू पुलिस सीमित संसाधन में बेहतर काम करने की कोशिश कर रही है। ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़े तकनीकी उपकरण-जैसे स्पीट इंटरसेप्टर, ब्रेथ इनलाइजर आदि की मांग मुख्यालय रांची से की गई। मिलने के बाद शराब पीकर और तेज गति से चलाने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने में सहूलियत होगी।


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