मृत्युंजय पाठक, पलामू: ग्रामीणों द्वारा सूचना मिलने के बाद पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) के अधिकारी-कर्मचारी इलाके में पहुंचे और बाघ की ट्रैकिंग शुरू कर दी। इसका फोटो ट्रैकिंग कैमरे में कैद होने के साथ ही अधिकारियों ने भी अपने कैमरे से खींचे हैं। मंडल डैम से कुछ दूर आगे जंगल में बाघ मौजूद है। उसने शनिवार को एक बैल मारा था। शिकार वाले स्थान पर ही बैठकर रविवार को अपना शिकार खाते हुए देखा गया है।

जंगल में पीटीआर अधिकारियों ने किया कैंप

कुटकू रेंज में बाघ होने की सूचना मिलने के बाद ट्रैकरों के साथ पीटीआर उत्तरी रेंज के उप निदेशक प्रजेश कांत जेना जंगल में पहुंचे। उन्होंने अपने कैमरे में शुक्रवार की शाम बाघ को कैद किया। इसके बाद पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोेष को सूचना दी।

ट्रैकर कैंप में रहकर बाघ पर रख रहे नजर

शनिवार को पीटीआर निदेशक भी पहुंचे और बाघ को देखा। कुमार आशुतोष ने भी रविवार को अपने कैमरे में बाघ को कैद किया। बाघ पर नजर रखने के लिए जंगल में टेंट गाड़ कैंप बनाया गया है। लाइटिंग के लिए जनरेटर लगाया गया है। अधिकारी और ट्रैकर कैंप में रहकर बाघ पर नजर रख रहे हैं।

नजर रखने लिए लगाए गए 40 कैमरे

पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष का दावा है कि बाघ ट्रैकिंग कैमरे में भी दिखा है। ट्रैकिंग के लिए 40 कैमरे लगाए गए हैं। और लगाए जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने जीपीएस आधारित फोटो मुहैया कराने से इनकार कर दिया।

उनका कहना है कि सुरक्षा कारणों से ऐसा नहीं किया जा सकता है। एक तो बाघ की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी और दूसरा इलाके के लोग दहशत में आ जाएंगे।

आसपास के गांवों में की जा रही ट्रैकिंग

उन्होंने बताया कि बाघ जंगल के आसपास के गांवों न जाने पाए इसके लिए ट्रैकिंग की जा रही है। जंगल से बाहर बाघ को निकलने नहीं दिया जाएगा। साथ ही माइकिंग कर ग्रामीणों को अलर्ट किया जा रहा है। सुबह-शाम और रात में घरों से नहीं निकलने को कहा जा रहा है।

21 दिन तक बलरामपुर में था बाघ

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से चलकर बाघ पीटीआर में आया है। यह नर है। बलरामपुर में 21 दिन तक यानी 23 फरवरी से 15 मार्च तक था। बलरामपुर के डीएफओ विवेकानंद झा ने बताया कि यह बाघ मध्य प्रदेश के सीधी से चलकर छत्तीसगढ़ से मनेंद्रगढ़, गुरु घासीदास नेशनल पार्क बैकुंठपुर, तमोर पिंगला अभयारण्य होते हुए बलरामपुर आया था।

उन्होंने बताया कि बाघ जिस स्थान पर शिकार करता है वहां 100 मीटर के दायरे में एक से दो दिन तक रहता है और शिकार को खाता है। इसके बाद फिर से शिकार के लिए 10 से 15 किमी चलता है।

बाघ मिलने से पीटीआर में खुशी

भारत में प्रत्येक चार साल बाघों की गणना होती है। 2018 की गणना में पीटीआर में एक भी बाघ नहीं मिले थे। 2022 की गणना में प्रत्यक्ष तौर पर कोई बाघ नहीं दिखा। हालांकि मल (स्कैट) के दो नमूने मिले थे। इस आधार पर पीटीआर प्रबंधन का दावा है कि दो बाघ हैं।

राष्ट्रीय बाघ दिवस पर 29 जुलाई, 2022 को गणना की रिपोर्ट जारी होनी थी। लेकिन कुछ टाइगर प्रोजेक्टों के डेटा का विश्लेषण नहीं होने के कारण रिपोर्ट जारी नहीं हुई। पीटीआर निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि बाघ की सूचना राष्ट्रीय बाघ टाइगर संरक्षण प्राधिकरण (एनसीटीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान,देहरादून को दे गई है। इसे गणना में शामिल करने के लिए कहा जाएगा।

एमपी का सीधा जिला

Edited By: Mohit Tripathi