हजरत इमाम हुसैन की शहादत पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत
हुसैनाबाद : हैदरनगर के चौक बाजार में हजरत ईमाम हुसैन की याद में जंजीरी मातम के दौरान ईरान से पधारे मौलाना सैयद जुल्फकार जैदी व गोरखपुर के मौलाना अब्बु तुराफ हुसैन ने बलिदान पर अपना-अपना विचार व्यक्त किया।
हैदरनगर : हैदरनगर चौक बाजार में हजरत इमाम हुसैन की याद में जंजीरी मातम के दौरान ईरान से पधारे मौलाना सैयद जुल्फेकार जैदी व गोरखपुर के मौलाना अब्बू तुराफ हुसैन ने शहीदान-ए-कर्बला पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि पूरी दुनिया आज इमाम हुसैन को याद कर रही है। इमाम हुसैन ने आज से 1380 साल पहले इराक के कर्बला में जो शहादत पेश की, वह किसी विशेष धर्म, जाति, समुदाय, वंश या किसी देश के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवता के हित के लिए थी। उन्होंने कहा कि हर जाति व धर्म का व्यक्ति इमाम हुसैन की शहादत का जिक्र करता है। बताया कि इमाम हुसैन ने कहा था जो सम्मान भगवान मनुष्य को प्रदान किया है चाहे वो किसी भी जाति या धर्म से संबंध रखता हो मनुष्य सम्मान का पात्र है। सम्मान के साथ जीवन यापन करने का ही इस्लाम मजहब पैगाम देता है। बावजूद यजीद इब्ने माविया स्वयं को मुस्लमानों का खलीफा कह रहा था। उसने इस्लाम के नाम पर गलत संदेश फैलाने का प्रयास शुरू किया। उसने अपने गलत काम का समर्थन इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम के नाती हजरज इमाम हुसैन कराना चाहा। हुसैन ने कहा कि वे सिर कटा देंगे मगर गलत का समर्थन नहीं करेंगे। कहा कि इस्लाम का दहशतगर्द व आतंकवादी का संबंध नहीं होने देंगे। बताया कि हजरत इमाम सत्य के मार्ग पर चलते हुए जामे शहादत पाई पर यजीद की बात नहीं मानी। इस बहादुरी की वजह से आज पूरी दुनिया हजरत इमाम हुसैन के शहदात की ताजीम करती है। हुसैन का नाम हमेशा कायम रहेगा। यह सिलसिला कयामत तक जारी रहेगा।