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जल संचय के लिए घर के आसपास कुछ जमीन छोड़ें खाली

आरओ से एक लीटर इस्तेमाल करने के लिए नौ लीटर पानी की होती है बर्बादी एसी और आरओ से निकलने वाले पानी का भी हो इस्तेमाल जल संचयन पर नहीं दिया ध्यान तो भविष्य में पानी के लिए होगा युद्ध दैनिक जागरण का जल संवाद में शामिल चिकित्सक व व्यवसायी बेबाकी से रखी राय फोटो 11 डालपी 23 कैप्शन जागरण की ओर से आयोजित जल संवाद में शामिल लोग। संवाद सहयोगी मेदिनीनगर अब लोग घरों में पानी करे रिफाइन करने के लिए आरओ मशीन का इस्तेमाल करने लगे हैं। एक लीटर पानी को शुद्ध करने के लिए नौ लीटर पानी की बर्बादी हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 06:26 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:25 AM (IST)
जल संचय के लिए घर के आसपास कुछ जमीन छोड़ें खाली
जल संचय के लिए घर के आसपास कुछ जमीन छोड़ें खाली

मेदिनीनगर : अब लोग घरों में पानी करे रिफाइन करने के लिए आरओ मशीन का इस्तेमाल करने लगे हैं। एक लीटर पानी को शुद्ध करने के लिए नौ लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। अधिकतर लोग आरओ मशीन से वेस्ट होने वाले पानी का इस्तेमाल तक नहीं करते। इस परंपरा को बदलना होगा। शहर समेत जिले भर में गहराते जल संकट और नीचे जा रहे जल स्तर पर प्रशासनिक नुमाइंदे, जनप्रतिनिधियों, व्यवसायियों, विद्यार्थियों व आम जनों को सक्रियता दिखानी होगी। दैनिक जागरण की ओर से संचालित कितना-कितना पानी के तहत आयोजित जल संवाद में गुरूवार को कई चिकित्सक व व्यवसायी शामिल हुए। लोगों ने मुखर होकर बेकाब अपनी राय रखी। अभियान की मजबूती के साथ उसे हर व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प लिया। सबने कहा कि सार्वजनिक स्थानों वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाया जाना चाहिए। साथ ही घर से शुरुआत करने और बूंद-बूंद जल को संरक्षित करने पर जोर दिया। इस अभियान से खुद को जोड़ते हुए शहर के अन्य लोगों को भी जोड़ने व जल बचाने को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की बात कही। कहा कि एक समय शहर में तालाबों की भरमार थी और जल की कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन आज स्थिति यह है कि भूगर्भ जल तेजी से नीचे भाग रहा है और जल का संकट बढ़ रहा है। जल संवाद की सबसे खास उपलब्धि यह रही कि लोगों ने अपने घर से ही बूंद-बूंद पानी बचाने की बात कही। कई लोगों ने बताया कि उनके घरों में जल संरक्षण किया जाता है। भवन में भी रेन वाटर हार्वेस्टिग है, लेकिन बहुत से घरों-अपार्टमेंटों में नहीं है। इस दिशा में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। घर में भी पानी की बर्बादी पर रोक लगनी चाहिए। बाक्स..फोटो : 11 डालपी 24

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कैप्शन : डॉ. एसएस पांडेय

जल संकट को गंभीरता से लेने की जरूरत है। अगर यही स्थिति रही तो अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। हरेक व्यक्ति संकल्प ले कि वे हर वर्ष पांच-पांच पौधा लगाएगा। अगर देश के 1.25 करोड़ लोग एक-एक पौधा लगाए और परिवार की तरह उसकी परवरिश करे तो स्वत: जल संकट दूर हो जाएगा। पौधा लगाने से पौधा बचाने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है। जल संचयन की जिम्मेवारी महज सरकार या प्रशासन की नहीं, बल्कि देश के हरेक व्यक्ति की है। अपना कर्तव्य समझकर जल संचयन की दिशा में पहल करने की जरूरत है। डीप बोरिग के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए।

डा एसएस पांडेय, जिला आयुष पदाधिकारी, पलामू। फोटो : 11 डालपी 25

कैप्शन : बंटी गुप्ता

राजमर्रा की जिदगी में हर दिन कई लीटर पानी हमलोग बेमतलब बर्बाद कर देते हैं। उदाहरण स्वरूप दाड़ी बनाने के दौरान, स्नान करने के दौरान, वाशिग मशीन, आरओ, कपड़ा धोने के दौरान, घरों में लीक नलों के माध्यम से आदि। बर्बादी का मुख्य कारण है कि आम लोग पानी के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। हरेक व्यक्ति जिम्मेवारी समझे कि उसे कम पानी का इस्तेमाल करना है। कई जगह देखने को मिलता है कि उनका पानी टंकी भर चुका है और वहां से पानी नीचे बह रहा है। इसके लिए वाटर अलार्म लगाएं। जल संचयन नहीं हुआ तो भावी पीढ़ी पानी के बूंद-बूंद को तरसेगी।

बंटी गुप्ता, व्यवसायी, मेदिनीनगर। बाक्स..फोटो : 11 डालपी 26

कैप्शन : धर्मेंद्र सिंह

हर स्तर पर पानी बचाने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। सभी घरों व प्रतिष्ठानों में अनिवार्य रूप से सोख्ता की व्यवस्था होनी चाहिए। इस्तेमाल हो रहे पानी को सोख्ता में डालने की व्यवस्था हो। इससे घर का पानी घर में ही रहेगा और जल स्तर स्थिर रहेगा। नीचे जा रहे जल स्तर पर चिता करने की जरूरत है। जल संचयन की दिशा में सरकार, प्रशासन के अलावा आम लोगों को गंभीरता से विचार करना होगा। अगर अभी भी सचेत नहीं हुए तो भावी पीढ़ी पानी के लिए तरसेगी।

धर्मेंद्र कुमार सिंह, कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग, पलामू। बाक्स..फोटो : 11 डालपी 27

कैप्शन : डा एमके मेहता

जल का स्तर काफी नीचे जाने से फ्लोराइड का मात्रा बढ़ जाता है। फ्लोराइड का मात्रा बढ़ने के बाद वह पानी इस्तेमाल के लायक नहीं रहता। लगभग लोग अब पानी इस्तेमाल के लिए आरओ मशीन घरों में लगाए बैठे हैं। इसमें एक लीटर रिफाइन करने के लिए नौ लीटर पानी की बर्बादी होती है। आरओ के वेस्ट होने वाले पानी का इस्तेमाल करना लेना चाहिए। इस पानी से स्नान करने पर बाल काफी सोफ्ट हो जाता है। सड़क के दोनों ओर पेवर ब्लॉक लगाया जाना चाहिए। इससे बारिश का पानी पेवर ब्लॉक के माध्यम से जमीन के भीतर चला जाएगा।

डा एमके मेहता, सलाहकार, जिला लिपरोसी कार्यालय, पलामू। बाक्स..फोटो : 11 डालपी 28

कैप्शन : डा अमरदीप शर्मा

पानी बचाने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण भी बेहद जरूरी है। प्लास्टिक का इस्तेमाल पूर्णत: बंद होना चाहिए। इस दिशा में प्रशासन भी सख्ती दिखाए। वर्षों पूर्व लोग प्लास्टिक की जगह पर झोला का इस्तेमाल करते थे। पुन: इसी परंपरा को अपनाने की जरूरत है। इसमें आम लोगों को दिलचस्पी दिखानी होगी। आज हम जागरूक होंगे तो भावी पीढ़ी के लिए पानी बचेगा।

डॉ. अमरदीप शर्मा, चिकित्सा पदाधिकारी, बोकारो, थर्मल। बाक्स..फोटो : 11 डालपी 32

कैप्शन : पंकज जायसवाल

बूंद-बूंद पानी बर्बाद हो रहा है। लगभग घरों से हो रही पानी की बर्बादी को बचाने की दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। स्थिति है कि कुछ लोग पानी की बर्बादी कर रहे हैं तो कुछ पानी की बूंद-बूंद मोहताज हैं। प्राकृतिक संसाधन पर सबका अधिकार है। रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम का सख्ती से पालन होना चाहिए। एक सलाह है कि अगर सरकारी विभाग की ओर से नाली का निर्माण कराया जा रहा है कि निर्धारित दूर पर नाली में ही सोख्ता का निर्माण हो। इससे नाली का पानी जमीन के भीतर जाएगा। जल स्तर नियंत्रित रखने में यह सहायक साबित होगा।

पंकज जायसवाल, आजीवन सदस्य, चैंबर ऑफ कॉमर्स।


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