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सूख गए ताल-तलैया, अब सूखेंगे कंठ

जासं, पाकुड़ : फागुन की बयार बहने लगी है, मगर पाकुड़वासियों चेहरे पर जेठ की पीड़ा झलक रही

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 12:54 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 12:54 AM (IST)
सूख गए ताल-तलैया, अब सूखेंगे कंठ
सूख गए ताल-तलैया, अब सूखेंगे कंठ

जासं, पाकुड़ : फागुन की बयार बहने लगी है, मगर पाकुड़वासियों चेहरे पर जेठ की पीड़ा झलक रही है। कारण, बारिश कम होने के कारण ताल-तलैया सूख गए हैं और जलापूर्ति योजना की धीमी गति पानी पिलाने में मददगार साबित नहीं है।

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शहरवासियों को अभी से ही पानी का ¨चता सताने लगी है। हालांकि नगर परिषद व पीएचईडी विभाग पेयजल संकट से निपटने के लिए कमर कस चुकी है। शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए शुरू हुई वृहत शहरी जलापूर्ति योजना धीमी गति से चल रही है। इस बार भी गर्मी के मौसम में शहरवासियों को गंगाजल नसीब नहीं हो पाएगा।

कृषि विभाग के अनुसार वर्ष 2017-18 की तुलना में चालू वर्ष में वर्षापात कम हुई है। कम बारिश के कारण धान की बुआई भी सही समय पर नहीं हो पाया था। जलस्तर में गिरावट आती है। वर्षापात का आंकड़ा देखने से पता चलता है कि गर्मी के मौसम में भू-जलस्तर का गिरना तय है। शहरी क्षेत्र में लोग पिछले कई वर्षों से पेयजल संकट से जूझते रहें हैं। पिछले वर्ष भी शहर में पानी के लिए त्राहिमाम मच था। नलकूपों पर पानी लेने के लिए लंबी कतार देखने को मिला था। इस बार भी स्थिति भयावह होने की संभावना है। पीएचईडी के अनुसार पेयजल संकट दूर करने के लिए पुराने चापाकल को दुरुस्त किया जाएगा। नए चापाकल भी लगाए जाएंगे। नगर परिषद ने भी पुराने चापाकल को दुरुस्त करने की योजना बनाई है। सबसे अहम बात यह है कि जब भू-जलस्तर में गिरावट आएगी तो चापाकल से पानी कैसे निकलेगा। राज हाईस्कूल रोड, बैंक कॉलोनी सहित अन्य कई मुहल्ले को ड्राइजोन घोषित किया जा चुका है। इन मुहल्ले में टंकी के माध्यम से पानी पहुंचाने की योजना है।

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सूख रहे ताल-तलैया

बरसात के मौसम में वर्षापात कम होने कारण जिले का ताल-तलैया गर्मी के पूर्व ही सूखने लगे हैं। शहर के अलावा ग्रामीण इलाके के अधिकतर कुएं सूख चुके हैं। नदियां भी पानी के लिए तरस रही है। मुख्यालय होकर गुजरने वाली तोड़ाई सहित अन्य नदियों का जल स्तर कम हो चुका है। कई स्थानों पर नदियां सूख चुकी है। अमड़ापाड़ा, महेशपुर होकर गुजरने वाली बांसलोई नदी का भी जलस्तर गिर चुकी है। नदी में पानी कम हो चुका है।

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गर्मी में भी शहरवासियों नहीं मिलेगा गंगाजल

शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए वर्ष 2012-13 में वृहत शहरी जलापूर्ति योजना का काम शुरु हुआ। कुछ काम करने के बाद ठेकेदार ने हाथ खड़ा कर दिया। पीएचईडी व नगर परिषद ने दावा किया था कि शीघ्र ही शहरवासियों को गंगाजल मिलने लगेगा। इस समय भी काम चल रहा है। लेकिन कार्य की गति देखकर ऐसा लग रहा है कि इस बार भी गर्मी के मौसम में शहरवासियों को गंगाजल नसीब नहीं हो पाएगा। शहर में पाइप नहीं बिछाया गया है।

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वृहत शहरी जलापूर्ति योजना का काम चल रहा है। कार्य की धीमी प्रगति की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। संवेदक को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। पेयजल संकट से निपटने के लिए नप ने योजना बनाई है। संपा साहा, अध्यक्ष

नगर परिषद, पाकुड़


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