दहेज हत्या मामले में पति सहित सात को जेल
मृतका के पिता ने बताया कि दामाम समधी समधिन व उनके रिश्तेदार उनकी बेटी पर दहेज के लिए दबाव बनाते थे। शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते थे।
हिरणपुर (पाकुड़) : जबरदाहा में दहेज के लिए हुई शकीना खातून की हत्या मामले में पुलिस ने उसको पति मुरसलीम अंसारी, ससुर मुसलोद्दीन अंसारी, सास अनवारा बीबी, बहनोई अनवारूल हक, पति का बड़ा भाई तस्लीम अंसारी, ननद मरजीना बीबी व हमीदा बीबी को गिरफ्तार कर बुधवार को जेल भेज दिया। मृतका के पिता फैजुल इस्लाम ने दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया था।
इस संबंध में मृतका के पिता ने बताया कि दामाम, समधी, समधिन व उनके रिश्तेदार उनकी बेटी पर दहेज के लिए दबाव बनाते थे। शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते थे। बेटी के ससुरालवालों ने कुछ माह पूर्व दहेज के रूप में चार लाख रुपये और एक बाइक की मांग की थी। दहेज नहीं देने पर बेटी को जान से मारने की धमकी भी दी गई थी। दो बार में 30 हजार रुपये भी ससुरालवालों को दिए। पूरी रकम नहीं देने पर दामाद के बहनोई ने गला में रस्सी फंसाकर व समधिन ने मुंह में तकिया देकर मेरी हत्या कर दी। हत्या में दामाद के दोनों बहन व उनकी बेटी के देवर ने भी साथ दिया है। थाना प्रभारी अमित तिवारी ने बताया कि नामजद आरोपितों को जेल भेज दिया गया है। जांच हो रही है।
पूर्व मंत्री व विधायक ने जताया दुख :
शकीना की हत्या को लेकर पूर्व मंत्री साइमन मरांडी और लिट्टीपाड़ा विधायक दिनेश मरांडी ने दुख प्रकट किया है। पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की है। पूर्व मंत्री ने कहा कि यह बहुत ही पीड़ादायक घटना है। किसी के भी साथ इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए। विधायक ने कहा कि दहेज के लिए बहु-बेटियों की हत्या करना दुखद है।
डेढ़ साल का बेटा हुआ अभागा :
शकीना का डेढ़ वर्ष का पुत्र साजिल को देखते ही हर किसी की आंख भर आई। स्वजनों ने साजिल को गोद में समेट रखा था। साजिल को पता ही नहीं चल रहा था कि आखिर हो क्या रहा है। उसे क्या पता कि अब उसका लालन-पालन करने वाली मां इस दुनिया को अलविदा कहकर चली गई। मायके वालों ने मुस्लिम रीति-रिवाज से शव को दफना दिया गया। तीन वर्ष पूर्व उठी थी डोली, आज अर्थी देख बिलखे स्वजन जिस घर से मां, पिता ने तीन वर्ष पूर्व अपनी बेटी को डोली में बिठाकर विदा किया था। उसी घर में बेटी की अर्थी पहुंची। प्लास्टिक में लिपटा बेटी का शव देखते ही पिता फैजुल इस्लाम, माता सलीमन बीबी, भाई व बहनों के आंखों से आंसू छलक पड़े। पीड़िता के मायके वालों की चित्कार सुन आसपास के लोगों ने भी अपनी आंसू नहीं रोक पाए। पिता फैजुल ने बताया कि वह कभी सोचा भी नहीं था कि जिस हाथ से बेटी की डोली को विदा किया था, उसी हाथ से अर्थी को कंधा देना पड़ेगा। शव को देखते ही मां बार-बार बेहोश हो जा रही थी।