राम-कथा में भाव विभोर हुए भक्त
संवाद सहयोगी पाकुड़ शहर के रुद्रनगर कुर्थीपाड़ा में आयोजित ग्यारह दिवसीय श्री श्री 1008 अ
संवाद सहयोगी, पाकुड़ : शहर के रुद्रनगर कुर्थीपाड़ा में आयोजित ग्यारह दिवसीय श्री श्री 1008 अतिरुद्र महायज्ञ व प्रवचन के चौथे दिन रविवार को प्रवचनकर्ता सुरेश मिश्र शास्त्री ने राम जन्म का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। अयोध्या से आए कथा वाचक पंडित सुरेश ने कथा के क्रम में श्रीराम जी का जन्म प्रसंग सुनाया व विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने पार्वती को भगवान श्रीराम के जन्म की दो कथाएं विस्तार से सुनाईं थी। इसके बाद वह प्रसंग बताया जिससे रावण का जन्म हुआ। कहा कि शंकर के गणों को नारद मुनि ने श्राप दिया था कि तुम दोनों महाबलि, वैभव शाली राक्षस हो और भगवान के हाथों तुम्हारा वध होगा तो मुक्ति मिलेगी। इस प्रकार रावण और कुंभकर्ण का जन्म भी भगवान की लीला का एक अंश है। राजा मनु और शतरूपा ने भगवान से वरदान मांगा और भगवान ने उन्हें निर्देश दिया कि अब तुम दोनों अमरावती में निवास करो। वे राजा-रानी दंपति भक्तों पर कृपा करने वाले भगवान को हृदय में धारण करके कुछ समय तक उस आश्रम में रहे, फिर उन्होंने समय पाकर सहज ही बिना किसी कष्ट के शरीर का त्याग किया और इन्द्र की राजधानी अमरावती में वास किया। महामुनि याज्ञवल्क्य ने भरद्वाज को कथा सुनाते हुए बताया कि इस अत्यंत पवित्र इतिहास को भगवान शिव ने पार्वती को सुनाया था। कथा सुनाते हुए कथावाचक ने आगे कहा कि सत्य केतु नाम का एक राजा राज करता था। वह धर्म की धुरी को धारण करने वाला, नीति की खान, तेजस्वी, प्रतापी, सुशील और बलवान था। उसके दो वीर पुत्र हुए। राज्य का उत्तराधिकारी जो बड़ा लड़का था, उसका नाम प्रताप भानु था। दूसरे पुत्र का नाम अरिमर्दन था जिसकी भुजाओं में अपार बल था जो युद्ध में पर्वत के समान अटल रहता था। भाई-भाई में बड़ा मेल और सब प्रकार के दोषों और छलों से रहित प्रीति थी। राजा ने जेठ अर्थात बड़े पुत्र को राज्य दे दिया और स्वयं भगवान का भजन करने वन चले गए थे। इस मौके पर तबला वादक विजय बहादुर पांडेय, सुबोध मिश्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।