पोषण वाटिका से सुधरेगी सेहत
पाकुड़ झारखंड में सबसे बड़ी समस्या कुपोषण की है। एनीमिया के कारण भारी संख्या में मां
पाकुड़ : झारखंड में सबसे बड़ी समस्या कुपोषण की है। एनीमिया के कारण भारी संख्या में मां व बच्चे बीमार रहते हैं। सरकार ने खून की कमी से जंग लड़ रही महिलाओं के लिए जिले में पोषण वाटिका विकसित करने का निर्णय लिया है। महिला बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग ने पहल शुरू कर दी है। पोषण वाटिका को विकसित कर महिलाओं की सेहत को सुधारा जाएगा, ताकि उसमें खून की कमी नहीं रहे। पोषण वाटिका को विकसित करने में तेजस्विनी क्लब के किशोरी व युवतियों की मदद ली जाएगी। पोषण वाटिका में लाल साग, हरा साग, टमाटर, नींबू एवं शकरकंद लगाए जाएंगे। इसे विकसित कर खून की कमी से जूझ रही महिलाओं को सेवन करने का तरीका बताया जाएगा।
इसके अलावा पोषण वाटिका में भूमि की उपलब्धता रहने पर पपीता, सहजन, अमरूद, शरीफा आदि की उपज पर भी ध्यान दिया जाएगा। लाभुक (गर्भवती, धात्री माता, छह माह से छह वर्ष तक बच्चे व अति कुपोषित बच्चे) के घर पर पोषण वाटिका को विकसित किया जाना है। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी इसका मॉनिटरिग करेगी। -----------------
पांच पायलट पंचायतों का चयन
घर-घर पोषण वाटिका विकसित करने के लिए पाकुड़ प्रखंड के तीन तथा लिट्टीपाड़ा प्रखंड के दो पंचायत को चिह्नित किया गया है। विभाग ने पांचों पंचायत को पायलट पंचायत बनाने का निर्णय लिया है। इसमें पाकुड़ प्रखंड के संग्रामपुर, कोलाजोड़ा व पोचाथोल तथा लिट्टीपाड़ा प्रखंड के लिट्टीपाड़ा व सोनाधनी पंचायत शामिल हैं। उक्त पंचायतों में सर्वप्रथम सभी लाभुकों के घर पर पोषण वाटिका को विकसित किया जाएगा। ------------------- जिले में उन्मुखीकरण कार्यक्रम शुरू
पोषण वाटिका को विकसित करने के लिए महिला बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग ने जिले में उन्मुखीकरण कार्यक्रम शुरू किया है। इसकी शुरूआत बाल विकास परियोजना कार्यालय लिट्टीपाड़ा से हुई है। उन्मुखीकरण कार्यक्रम जिले के सभी प्रखंडों में तिथिवार होना तय है। कार्यक्रम में महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड समन्वयक, क्षेत्रीय समन्वयक, क्लस्टर समन्वयक, तेजस्विनी परियोजना के प्रतिनिधि शामिल होकर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद घर-घर पोषण वाटिका को विकसित करने का काम शुरू हो जाएगा। ------------------- वर्जन..
लाभुकों के घर पर पोषण वाटिका को विकसित किया जाना है। पोषण वाटिका में साग, सलजम, टमाटर, पपीता, सहजन, अमरूद आदि के पौधे लगाएं जाएंगे। पोषण वाटिका को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एनीमिया से मुक्ति दिलाना है।
चित्रा यादव
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, पाकुड़।