Move to Jagran APP

किसी ने नहीं की किसानों के प्रति नजरें इनायत

पाकुड़ चुनावी मौसम में नेताजी बड़े-बड़े वादे करते हैं। घोषणाओं की फुलझड़ी लगा देते

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 11:12 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 11:12 AM (IST)
किसी ने नहीं की किसानों के प्रति नजरें इनायत
किसी ने नहीं की किसानों के प्रति नजरें इनायत

पाकुड़ : चुनावी मौसम में नेताजी बड़े-बड़े वादे करते हैं। घोषणाओं की फुलझड़ी लगा देते हैं। परंतु चुनाव का मौसम गुजरने के बाद माननीय अपना वादा भूल जाते हैं। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में माननीय सबसे अधिक किसानों को लेकर राजनीति करते हैं। किसानों की हर तमन्ना को पूरा करने का भरोसा देते हैं। विभिन्न दलों के नेता किसानों की समस्याओं को लेकर एक दूसरे को कोसते हैं। परंतु जमीनी हकीकत यह है कि किसानों की समस्याओं का समाधान आजतक नहीं हो सका। लिहाजा जिले के किसान आज भी बेहतर तरीके से खेती नहीं कर पा रहें हैं। सिचाई के अभाव में उन्हें प्रत्येक वर्ष भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जिले के किसान वर्षा जल पर निर्भर है। किसानों के प्रति नजरें इनायत नहीं होने से उनकी परेशानी बढ़ती ही जा रही है।

loksabha election banner

पाकुड़ में 1.30 लाख किसान

जिले में कुल किसानों की संख्या करीब 1.30 लाख है। पाकुड़ विधानसभा की बात करें तो पाकुड़ सहित बरहड़वा प्रखंड क्षेत्र के अधिकतर किसान धान की खेती पर निर्भर हैं। पाकुड़ प्रखंड के कुछ हिस्सों में सब्जी की भी खेती होती है। परंतु इलाके में सिचाई सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान काफी मायूस हैं। महेशपुर विधानसभा को सब्जी का गढ़ माना जाता है।धान के मौसम में धान की भी फसलें होती है। बंगाल के कई जिलों में महेशपुर की सब्जियां बिकती है। महेशपुर, पाकुड़िया के किसान क्रमश: बांसलोई और तिरपतिया सहित अन्य छोटी-छोटी नदियों पर आश्रित है। बरसात कम होने के कारण नदियां असमय ही सूख जाती है। जिस कारण नदियों में पानी का अभाव हो जाता है। लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में भी सब्जी की खेती होती है। अमड़ापाड़ा के किसान भी बांसलोई नदी पर निर्भर है। किसानों का मानना है कि सिचाई सुविधा उपलब्ध हो जाने से बेहतर खेती हो सकती है। हालांकि सरकार की ओर से महेशपुर इलाके में कुछ स्थानों पर डीप बोरिग कराया गया है। महेशपुर के विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी, पाकुड़ के विधायक आलमगीर आलम और लिट्टीपाड़ा के विधायक

साइमन मरांडी का कहना है के वे लोग विधानसभा सत्र में कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं। वहीं दूसरी ओर महेशपुर प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसे बोरिग है जो देखरेख के आभाव में खराब अवस्था में पड़ा हुआ है।

------

किस विधानसभा क्षेत्र में कितने मतदाता

विधानसभा क्षेत्र वोटरों की संख्या

पाकुड़ 318238

लिट्टीपाड़ा 198215

महेशपुर 214214

--------

किस प्रखंड में है कितना जमीन

प्रखंड खेती योग्य परती भूमि

पाकुड़ 12587 4282

हिरणपुर 10818 3770

लिट्टीपाड़ा 13554 7474

अमड़ापाड़ा 8947 3925

महेशपुर 19747 5693

पाकुड़िया 14480 6857

(आंकड़ें : हेक्टेयर में)

------------

32001 हेक्टेयर जमीन है परती

सिचाई सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण जिले के 32001 हेक्टेयर भूमि परती पड़ी हुई है। हालांकि सरकार परती भूमि योजना के तहत किसानों को मुआवजा भी दिया है। सरकार ने परती भूमि पर फसल उपजाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर चुके हैं। किसानों का कहना है कि सिचाई व्यवस्था रहती तो परती जमीन पर भी खेती होती। जिले में सबसे अधिक परती भूमि लिट्टीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में है। यहां 7474 हेक्टेयर जमीन परती पड़ी हुई है। दूसरे स्थान पर पाकुड़िया प्रखंड है। इस प्रखंड में 6857 हेक्टेयर जमीन परती पड़ी है।

----------------

वर्जन..

विधानसभा क्षेत्र में सिचाई सुविधा के लिए बहुत सारे डैम, तालाब, नाला, बांध सहित जलस्रोतों का जीर्णोद्धार कराया गया है। इसमें लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। सिचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए विधानसभा सत्र में कई बार आवाज भी उठाया गया है। आगे भी सिचाई के लिए कार्य किए जाएंगे।

प्रो. स्टीफन मरांडी, विधायक,महेशपुर, विस क्षेत्र

---------

सिचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए कई बार विधानसभा में आवाज उठाई गई है। पाकुड़ विस क्षेत्र के बरहड़वा प्रखंड में 25 से भी अधिक बोरिग कराए जा चुके हैं। पाकुड़ प्रखंड क्षेत्र में 65 गांवों में डीप बोरिग कर पाइप लाइन का विस्तारीकरण किया गया है। विस क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में 70 बोरिग कराने की अनुशंसा की गई है।

आलमगीर आलम, विधायक

पाकुड़ विस क्षेत्र

---------

किसानों के लिए विस सत्र में कई बार आवाज उठाया गया है। सिचाई के लिए कई प्रयास किए गए हैं।

साइमन मरांडी, विधायक

लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.