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राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह..एमडीएम का हाल बेहाल, उब रहे हैं नौनिहाल

पाकुड़ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल की तरफ से भरपूर पोषण उपलब्ध कराने के

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 06:50 PM (IST)
राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह..एमडीएम का हाल बेहाल, उब रहे हैं नौनिहाल
राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह..एमडीएम का हाल बेहाल, उब रहे हैं नौनिहाल

पाकुड़ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल की तरफ से भरपूर पोषण उपलब्ध कराने के लिए मिड डे मिल की व्यवस्था की गई है। जिले में बच्चों को मिलने वाली एमडीएम सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रही है। एमडीएम से बच्चों का पेट तो जरुर भर रहा है लेकिन भरपूर पोषण नहीं मिल रहा है। स्कूलों में मिड डे मिल के बाद बच्चों में कुपोषण की स्थिति बनी रहती है। लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा के पहाड़ी इलाके में तो स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र खुलता ही नहीं है। जिस कारण बच्चे मिड डे मिल व रेडी टू इट का लाभ लेने से वंचित हो रहें हैं। सबसे अहम बात यह है कि स्कूली बच्चों का मन एमडीएम से उब चुका है। मध्याह्न भोजन मामले में सरकारी स्कूल अपनी जिम्मेदारी नही निभा रहें हैं।

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जिले में पोषण सप्ताह कार्यक्रम चलने के बाद भी विभिन्न प्रखंडों के 75 स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना बंद है। मैन्यू के अनुसार बच्चों को मध्याह्न भोजन देना है। इसके लिए दिन निर्धारित किया गया है कि किस दिन बच्चों को एमडीएम में क्या देना है। जिले में कुछ निजी आवासीय स्कूल भी संचालित हो रहें हैं। निजी स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। पोषणयुक्त भोजन नही मिलने के कारण बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।

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जागरुक नहीं हैं अभिभावक

स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को जागरुक होने की जरुरत है। स्कूल प्रबंधन व सरकार की ओर से अभिभावकों को एमडीएम के प्रति जागरुक भी नहीं किया जा रहा है। जानकारी के अभाव में अभिभावक आवाज भी नहीं उठा पा रहें हैं। स्कूल प्रबंधन बच्चे के माता-पिता को कभी भी स्कूल नहीं बुलाते हैं। अभिभावकों को पोषित खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी तक नहीं देते हैं।

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वर्जन..

स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है। पौष्टिक आहार नहीं मिलने पर संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एमडीएम में गुणवत्ता का ख्याल रखना जरुरी है।

रजनी देवी, डीइओ, पाकुड़


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