लोककला के आगे फीकी पड़ी आधुनिकता की चकाचौंध
रंजन गुप्ता महेशपुर (पाकुड़) वर्षो पुरानी संस्कृति और सभ्यता उस वक्त जीवंत हो उठती है
रंजन गुप्ता, महेशपुर (पाकुड़) : वर्षो पुरानी संस्कृति और सभ्यता उस वक्त जीवंत हो उठती है जब परंपराएं धरातल पर उतर जाती है। मुख्यालय स्थित श्री श्री 1008 बूढ़ा बाबा महेश्वर नाथ शिव मंदिर महायज्ञ में आयोजित रुद्र यज्ञ सह कीर्तन इस बात का उदाहरण है कि लोक कला पर आधुनिकता की चकाचौंध अभी भी फिकी है। देवी-देवताओं के अनगिनत रूपों को कीर्तन के कलाकार जिन खूबियों के साथ प्रदर्शित करते हैं उसका जवाब आज भी टीवी या सिनेमा के पास नहीं है। यज्ञ, पूजा, मनोरंजन और उसमें लोगों का समागम कहीं न कहीं आधुनिकता पर आस्था को भारी करता नजर आता है। चकाचौंध से दूर यज्ञ के बहाने ही सही कुछ क्षणों के लिए लोग कीर्तन और यज्ञ देखकर अपने आप को भाग्यशाली समझ रहें हैं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र भगत कहते है कि यज्ञ में कीर्तन का अलग महत्व है। यज्ञ और कीर्तन के माध्यम से विचारों को बदला जा सकता है। कार्यक्रम के माध्यम से उन सारी अच्छाईयों के तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट कराते है, जिसकी आज समाज की जरूरत है। रूद्र यज्ञ में कीर्तन लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। कीर्तन के अलावा कलाकारों द्वारा नृत्य भी प्रस्तुत किया जा रहा है जो आयोजन में चार चांद लगा दिए हैं। इस दौरान हनुमान, भूत पिशाच, वृद्ध महिला, वृद्ध पुरुष के रूप में भी कीर्तन मंडली द्वारा बच्चों को सजाया गया जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।