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पाकुड़ में भक्तिभाव से हुई मां काली की पूजा

जागरण टीम पाकुड़ जिला मुख्यालय सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में मां काली की पूजा शनिवार क

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 06:39 PM (IST)
पाकुड़ में भक्तिभाव से हुई मां काली की पूजा
पाकुड़ में भक्तिभाव से हुई मां काली की पूजा

जागरण टीम, पाकुड़ : जिला मुख्यालय सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में मां काली की पूजा शनिवार की रात हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई। शहर के श्मशान काली, नित्यकाली मंदिर कालीबाड़ी, ग्रामरक्षा खेपा काली, रेलवे स्टेशन मैदान, सिधीपाड़ा, कालिकापुर, कुड़ापाड़ा, अन्नपूर्णा कालोनी, राजापाड़ा, कालीभसान, रेलवे कालोनी, नामुपाड़ा, तांतीपाड़ा सहित अन्य स्थानों पर मां काली की प्रतिमा स्थापित कर तांत्रिक पद्धति से पूजा अर्चना की गई। मां के दर्शन, पूजा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। पूजा-अर्चना के बाद पाठा बली का कार्यकम शुरू हुआ। मां काली की पूजा से आसपास का इलाका भक्तिमय हो गया है। मां श्मशान काली की पूजा भक्तों के बीच आस्था केंद्र बना रहा। कोरोना को लेकर सभी पूजा स्थलों पर सरकार के गाइडलाइन का पालन किया गया। वही हाटपाड़ा, कूड़ापाड़ा सहित अन्य स्थानों पर भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। पाकुड़िया, महेशपुर, हिरणपुर व अमड़ापाड़ा में भी कालीपूजा धूमधाम से संपन्न हुई।

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लिट्टीपाड़ा में भी हुई काली पूजा : बंगाली टोला में मां काली की पूजा धूमधाम से हुई। मां काली की पूजा प्रखंड मुख्यालय में आदिकाल से ग्राम प्रधान की अगुवाई में संथाल आदिवासी द्वारा की जाती है। पुरोहित जुनू टुडू द्वारा विधि-विधान के साथ किया गया। रविवार को बली दी गई। गयी। खिचड़ी बनाकर प्रसाद के रूप में वितरण किया गया। पूजा पाठ में गुडित दुकान सोरेन, जेठू मरांडी, लखींद्र तुरी, चूंडा मरांडी समेत गांव के सभी परिवार के लोग उपस्थित थे। करियोडीह, तालझारी, करणघाटी, बिचामहल, लेटबाड़ी, बलमपुर, पतरापाड़ा, डुमरिया और तालपहाड़ी में भी लोगों ने कालीपूजा की। मेला का उठाया आनंद : काली पूजा पर शहर के कालीतल्ला मैदान में रविवार को मेला लगा। मेले में स्थानीय लोगों के अलावा सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों ने भी मां का दर्शन कर मेला का आनंद उठाया। श्मशान काली मंदिर परिसर के मैदान में लगी इस मेले में विगत वर्ष अपेक्षा इस वर्ष बहुत कम भीड़ देखी गई। मेले में प्रसाद, खिलौना, चाट व नाश्ता आदि की दुकानें लगी थी। श्मशान काली पूजा स्थल में मेला का भी कुछ अलग महत्व है। मेला में सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लेते हैं।


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