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जीवामृत से फसल के साथ सुधरेगी किसानों की सेहत

जागरण संवददाता पाकुड़ हरितक्रांति के बाद से खेती में जमकर रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 06:23 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 05:13 AM (IST)
जीवामृत से फसल के साथ सुधरेगी किसानों की सेहत
जीवामृत से फसल के साथ सुधरेगी किसानों की सेहत

जागरण संवददाता, पाकुड़ : हरितक्रांति के बाद से खेती में जमकर रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल हुआ। इससे जमीन की संरचना ही बदल गई है। इस कारण तेजी से खेती योग्य भूमि बंजर होती जा रही है। फसल की पैदावार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

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इसको देखकर सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने व मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने को कई तरह के उपाय किए हैं। जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। खेतों की उर्वरा शक्ति को बरकरार रखने के लिए वर्तमान में जीवामृत का सहारा लिया जा रहा है। जिले के करीब 750 किसानों को जीवामृत बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। 500 से भी अधिक किसानों के बीच जीवामृत बनाने के लिए जीवामृत उत्पादन इकाई का वितरण किया गया है। किसान जीवामृत बनाकर कृषि कार्य में इस्तेमाल कर रहे हैं। जीवामृत बनाने के लिए सामग्री की खरीदारी किसान स्वयं कर रहे हैं। जीवामृत के उपयोग से किसानों की किस्मत बदलेगी। अमड़ापाड़ा प्रखंड के बरमसिया गांव के किसान सिलवंती हेम्ब्रम, छुमुली मरांडी, राजू सोरेन ने बताया कि कृषि विभाग से उनलोगों को जीवामृत उत्पादन इकाई मिली है। जीवामृत बनाकर खेतों में छिड़काव कर रहे हैं। इसका लाभ खेतों में दिखा है।

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तीन-चार वर्ष में बढ़ेगी उर्वरा शक्ति

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जीवामृत किसानों के लिए रामवाण साबित होगी। जीवामृत एक तरह का उर्वरक ही है। इसे खेतों में छिड़काव करने से उर्वरा शक्ति में बढ़ेगी। प्रखंड तकनीकी प्रबंधक मो. शमीम के अनुसार अगर किसान इसका सही तरीके से इस्तेमाल करें तो यूरिया व डीएपी की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। तीन-चार वर्षों में खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ जाएगी।

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जीवामृत बनाने की सामग्री

सामग्री का नाम मात्रा

देसी गाय का ताजा गोबर 10 किलो

गोमूत्र दस लीटर

पुराना गुड़ दो किलो

पिसी हुई कोई भी दाल दो किलो

बरगद या पीपल पेड़ के नीचे की मिट्टी 200 ग्राम

पानी 200 लीटर

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जीवामृत से लाभ

-जैविक घटक की तरह कार्य करता है, मिट्टी में आवश्यक सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है।

-पौधों को बढ़ाता है व जरूरी पोषक तत्वों में वृद्धि करता है।

-मिट्टी में केचुआ की संख्या में वृद्धि करता है।

-जीवामृत का बार-बार उपयोग किए जाने से रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं नहीं पड़ेगी।

-बंजर जमीन भी उपजाऊ हो जाएगी।

-सभी प्रकार के फसलों की उत्पादन में वृद्धि करता है।

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जीवामृत एक तरह का उर्वरक ही है। किसान इसे अपने घर पर आसानी से बना सकते हैं। जीवामृत के इस्तेमाल से फसलों का उत्पादन अच्छा होगा। मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी।

मुनेंद्र दास, जिला कृषि पदाधिकारी, पाकुड़

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जीवामृत बनाने का तरीका भी काफी आसान है। घर पर गाय का गोबर, गोमूत्र सहित गुड़ आदि से जीवामृत बनाकर धान की फसल में छिड़काव कर रहे हैं। यह बिल्कुल जैविक खाद की तरह काम करता है। जीवामृत से फसल में कीट-पतंग भी नहीं के बराबर लग रहा है।

गोवर्धन साहा, किसान, हीरानंदपुर

पाकुड़

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कृषि विभाग से जीवामृत बनाने का ड्रम मिला है। इसका छिड़काव करने से धान की फसल का रंग में भी बदलाव दिख रही है। जीवामृत का छिड़काव से फसल में लगी कीड़ा स्वत: खत्म हो गया है। किसानों के लिए यह काफी लाभप्रद साबित हो रहा है।

प्रतिमा कुनाई, महिला किसान, हीरानंदनपुर

पाकुड़


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