प्यासा रहा खरीफ, बूंद-बूंद को तरस रहा रबी
गणेश पांडेय पाकुड़ वैसे तो सरकार किसानों की दशा दुरुस्त करने में जुटी है मगर पाकुड
गणेश पांडेय, पाकुड़ : वैसे तो सरकार किसानों की दशा दुरुस्त करने में जुटी है, मगर पाकुड़ के किसानों की स्थिति जल्द सुधर जाएगी इसकी गारंटी नहीं हैं। यहां खेती इंद्रदेव की कृपा से ही सफल होती है। मॉनसून ने दरियादिली दिखाई तो घर में अनाज, वरना सालभर मोहताज। क्योंकि यहां ¨सचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। मिंट्टी में नमी नहीं रहने के कारण रबी की फसल ने भी दगा दिया। इस कारण अन्नदाता खून के आंसू रो रहे हैं। खेतों में डीप बो¨रग नहीं होने से जिले के किसान नदी, तालाब, कुएं आदि जलाशय सूखने के कगार हैं।
कृषि विभाग सूक्ष्म ¨सचाई योजना के तहत कई किसानों को पंपसेट दिया गया है। भूमि संरक्षण विभाग ने भी वर्ष 2018-19 में पंपसेट बांटें। मगर, नदी, तालाब आदि समय से पहले के समय से पहले सूख गए। इस कारण पंपसेट भी बेकार हो गए। किसानों का कहना है कि खेतों में बो¨रग हो जाने से काफी हद तक समस्या का समाधान हो जाएगा। जिले के महेशपुर प्रखंड के कुछ किसान अपने पैसे से खेतों में डीप बो¨रग कराई है। अधिकतर गरीब किसान पंपसेट के जरिए बांसलोई नदी या तालाब से ¨सचाई कर रहे हैं। सरकार की ओर से बहुत पहले कुछ खेतों में डीप बो¨रग भी कराई गई थी। लेकिन ये भी बेकार हो गए। कुछ वर्ष पूर्व महेशपुर प्रखंड में ¨सचाई के लिए सौर उर्जा उपकरण लगाया गया है।
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¨सचाई के अभाव में कम हुई थी धनरोपनी
कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018-19 में 50 फीसद से भी कम बारिश हुई। इस कारण कई किसान धनरोपनी से वंचित रह गए थे। वर्ष 2017-18 में जिले में 50 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी। मगर 2018-19 में महज 39 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई। कम बारिश के कारण रबि फसल पर भी असर पड़ा। मकई की खेती भी ठीक ढंग से नहीं हो सकी। वैसे खेतों में ¨सचाई के लिए भूमि संरक्षण विभाग ने थोड़ी गंभीरता बरती है। वर्ष 2018-19 में 72 तालाबों का जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। भूमि संरक्षण विभाग 36 निजी व 36 सरकारी तालाब का जीर्णोद्धार करा रहा है। 2019-20 में भी कई तालाबों का जीर्णोद्धार होगा।
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जिले भर में 72 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। वर्ष 2019-20 में भी तालाबों का जीर्णोद्धार होगा। सरकार का निर्देश प्राप्त होने के बाद कार्य शुरू हो जाएगा। तालाबों में जल संग्रह के बाद किसान खेतों की ¨सचाई कर सकेंगे।
मदन मोहन जायसवाल, भूमि संरक्षण पदाधिकारी
पाकुड़