रसोई गैस के दाम बढ़े तो चूल्हा बना सहारा
गणेश पांडेय पाकुड़ जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर है कुसमाडांगा (कुसमाफाटक
गणेश पांडेय, पाकुड़ : जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर है कुसमाडांगा (कुसमाफाटक) गांव। यहां की आबादी करीब एक हजार है। आधे से अधिक महिलाओं को उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है। गरीबी से जूझ रही महिलाएं पैसे के अभाव में रसोई गैस रिफिल नहीं करा भरा पा रही है। वहीं कीमत बढ़ने से गांव की महिलाओं की परेशानी भी बढ़ गई है। पुष्पा, झुमा, मुनिया, अनिता सहित कई महिलाएं हैं जिन्होंने गैस को त्याग कर चूल्हे की ओर रूख कर ली है।
पुष्पा ने बताया कि शुरुआत में मुफ्त में रसोई गैस मिला था। चूल्हे से मुक्ति मिल गई थी। उस समय लगा था कि अब खाना पकाने के लिए लकड़ी, गोयठा, घास, पत्तियों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। परंतु समय व परिस्थिति ने एक बार भी चूल्हा में खाना पकाने के लिए मजबूर कर दिया है।
मुनिया कहती हैं कि सरकार की उज्ज्वला योजना गरीबों के लिए काफी अच्छा है, लेकिन गरीबों के पास इतने पैसे नहीं है कि वह प्रतिमाह रसोई गैस भरा सके। रसोई गैस के लगातार बढ़ रही कीमत के कारण चूल्हे का सहारा लेना पड़ रहा है।
अनिता देवी ने बताया कि रसोई गैस की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसलिए प्रतिमाह रसोई गैस भराना संभव नहीं है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में गरीब परिवारों के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को मुफ्त में रसोई गैस का कनेक्शन दिया। शुरुआत में महिलाओं को लगा कि अब उन्हें खाना पकाने के लिए उपयोग होने वाले लकड़ी व गोबर के उपले के साथ घास, पत्तियों से मुक्ति मिल गई है। चूल्हे से निकलने वाली धुएं से अब उसका स्वास्थ्य खराब नहीं होगा। परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे गरीब महिलाओं की परेशानी बढ़ती गई। लगातार बढ़ रहे रसोई गैस की कीमत ने गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों का कमर ही तोड़ डाली है। कीमत बढ़ने से महिलाएं रसोई गैस का त्याग कर पुन: चूल्हे का सहारा लेने लगी है।
स्वर्णलता गैस एजेंसी के हेमंत दत्ता बताते हैं कि वर्तमान में प्रति सिलेंडर रसोई गैस 876 रुपये की दर से मिल रहा है। उज्ज्वला योजना के लाभुकों को महज 37.76 रुपये ही सब्सिडी मिल रही है।
-------
उज्ज्वला योजना से क्या है लाभ
-शुद्ध इंधन के प्रयोग से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार
-अशुद्ध जीवाश्म ईंधन के प्रयोग नहीं होने से वातावरण में प्रदूषण कम
-खाने पर धुएं का असर से मृत्यु में कमी
-छोटे-छोटे बच्चों में स्वास्थ्य समस्या से मिली छुटकारा
-----
योजना की शुरुआत में लाभुकों का चयन गैस एजेंसी के माध्यम से किया गया था। हमलोगों को सिर्फ मॉनीटरिग के लिए कहा गया था। कितने लाभुकों ने रसोई गैस का उपयोग करना छोड़ दिए हैं, इसकी जानकारी नहीं है।
शिवनारायण यादव, डीएसओ, पाकुड़