बच्चों की उपस्थिति कम हुई तो सेविका पर कार्रवाई : चित्रा
संवाद सहयोगी पाकुड़ महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय सभागार में सोमवार को जिला समाज
संवाद सहयोगी, पाकुड़ : महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय सभागार में सोमवार को जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सह सीडीपीओ चित्रा यादव की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें आंगनबाड़ी सेविकाओं ने हिस्सा लिया। बैठक में पोषाहार, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना आदि की समीक्षा केंद्रवार की गई। इस दौरान समाज कल्याण पदाधिकारी ने सभी सेविकाओं को निर्देश दिया कि आंगनबाड़ी केंद्र बंद मिला या बच्चों की उपस्थिति कम मिली तो संबंधित केंद्र की सेविका-सहायिका पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि आए दिन केंद्र बंद मिलने की शिकायत मिल रही है। सेविका-सहायिका अपने कार्यशैली में सुधार लाएं। अन्यथा कार्रवाई हेतु तैयार रहें। साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को मिलने वाले पोषाहार से संबंधित भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि केंद्र में बच्चों की उपस्थिति नहीं होती है तो घर-घर जाकर अभिभावक से संपर्क कर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाएं। इसके अलावा सेविकाओं को वृद्धि अनुश्रवण उपकरण (जीएमडी) के संबंध में जानकारी दी। बैठक में महिला पर्यवेक्षिका व सेविका उपस्थित थी।
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शिशुओं के सम्पूर्ण पोषक आहार की गुणवत्ता पर दें ध्यान - सेविकाओं को दिया गया आईएलए का प्रशिक्षण
राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत इंक्रीमेंट लर्निंग अप्रोच (आईएलए) का प्रशिक्षण कार्यक्रम परियोजना कार्यालय सभागार में सोमवार को आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में सेक्टर दो, सात, आठ, 10 व 11 के आंगनबाड़ी सेविकाओं ने हिस्सा लिया। सेविकाओं को आईएलए के मॉड्यूल 14, 15 व 16 का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में महिला पर्यवेक्षिका बबली शर्मा व डिपल प्रियंका ने सेविकाओं को शिशुओं के गंभीर दुबलेपन, स्तनपान संबंधी समस्याओं के बारे में बताया। बीमारियों में शिशुओं के आहार की जरूरत एवं विशेषता तथा हर कमजोर नवजात के लिए ममता का एक जीवनदायी स्पर्श के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। महिला पर्यवेक्षिका ने बताया कि शिशुओं की उम्र बढ़ाने के साथ-साथ उनके लम्बाई व वजन में भी बढ़ोत्तरी होना जरुरी है, इसके लिए शिशुओं को सम्पूर्ण पोषक आहार की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बीमारी के दौरान व बीमारी के बाद शिशु का आहार कैसा और किस प्रकार का हो। इसके अलावा बताया गया कि छह माह से कम उम्र के शिशु को बीमारी के दौरान स्तनपान जारी रखें। उसे बंद न करें और बीमारी के बाद स्तनपान को बढ़ाएं। शिशु की उम्र जब छह माह की हो जाए तब भी बीमारी के दौरान शिशु को स्तनपान के साथ साथ पसंद के अनुसार ऊपरी आहार दें और बीमारी के बाद ऊपरी आहार की मात्रा बढ़ाने के साथ साथ आवश्यक रूप से स्तनपान जारी रखें। इसके उपरांत मॉड्यूल 15 में सेविकाओं को समझाया गया कि शिशुवती महिलाओं को अपने शिशु के स्तनपान कराने में माताओं को आने वाली किसी भी समस्याओं में माताओं को सहयोग कर उनकी समस्याओं का समाधान करने के तौर तरीके बताए गए।