मां-पिता का छिन गया सहारा
गणेश पांडेय/संजय कुमार विषाक्त भोजन करने से तीन बच्चों की मौत की खबर सुनते ही पूरे गांव
गणेश पांडेय/संजय कुमार : विषाक्त भोजन करने से तीन बच्चों की मौत की खबर सुनते ही पूरे गांव में मातम छा गया। स्वजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। गरीबी ने तीन मासूमों की जान ले ली। बासी भात, आलू-कुंदरी की सब्जी व इमली की पुरानी चटनी मौत का कारण बना। बबलू व उनकी पत्नी सुहागिनी सोरेन का सहारा ही छीन गया। बबलू का तीन-चार बीघा खेत है। खेती कर किसी तरह से घर-परिवार चलता था। बबलू कभी कभार मजदूरी भी करता था। इससे उनके तीनों बच्चों का पेट भरता था। गरीबी नहीं रहती तो शायद बबलू, उनकी पत्नी और तीनों बच्चों को बासी भात, सब्जी और पुरानी इमली की चटनी खाने को मजबूर नहीं होना पड़ता। विषाक्त भोजन की शिकार हुई बबलू व उनकी पत्नी सुहागिनी को काफी देर तक पता ही नहीं चला कि अब उनका तीनों लाल इस दुनिया में नहीं रहा। ------------------
मेडिकल टीम करेगी पोस्टमार्टम
घटना की सूचना मिलते ही सिविल सर्जन डॉ. रामदेव पासवान मेडिकल टीम के साथ बबलू के घर पर पहुंचे। सीएस ने पूरी घटना की जानकारी ली। कहा कि मेडिकल टीम पोस्टमार्टम करेगी। पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगा कि बच्चों की मौत किस वजह से हुई है। सीएस ने बताया कि मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी। बबलू व उनकी पत्नी की हालत में सुधार है। चिकित्सक दंपति की बेहतर इलाज करने में सफल रहे।
----------------------- बबलू को नहीं मिलती सरकारी सुविधा
बबलू गरीब है। पत्नी और तीन बच्चों का संसार था। दुर्भाग्य है कि बबलू या उनकी पत्नी का नाम बीपीएल सूची में नहीं है। उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है। बीपीएल सूची में नाम नहीं है इसलिए उसे जन वितरण प्रणाली से अनाज या अन्य सामान नहीं मिल रहा है। होश आने पर बबलू ने बताया कि उन्हें आज तक सरकारी सुविधा नहीं मिली है। बीपीएल में नाम भी नहीं है। रात में बासी भोजन किए थे। इसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता। बबलू को काफी सदमा लगा है।