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महेशपुर में बाइकों की टक्कर में दो की मौत

संवाद सूत्र महेशपुर (पाकुड़) काठसल्ला गांव के पास दो बाइक के बीच हुई आमने-सामने जोरदा

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 07:31 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 07:31 PM (IST)
महेशपुर में बाइकों की टक्कर में दो की मौत
महेशपुर में बाइकों की टक्कर में दो की मौत

संवाद सूत्र, महेशपुर (पाकुड़) : काठसल्ला गांव के पास दो बाइक के बीच हुई आमने-सामने जोरदार टक्कर में मंगलवार की दोपहर चापतुरा गांव निवासी 40 वर्षीय सीटुल शेख और घनश्यामपुर गांव निवासी 20 वर्षीय आशीष माल की मौत हो गई। घटना के बाद घटनास्थल पर काफी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई। पुलिस ने घटना स्थल से क्षतिग्रस्त दोनों बाइक जब्त कर ली।

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प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आशीष माल बाइक से बंगाल के मुरारई की ओर से अपने घर काठसल्ला जा रहा था। विपरीत दिशा से सीटुल शेख बाइक में सवार होकर महेशपुर की तरफ से आ रहा था। दोनों चालकों का संतुलन बिगड़ने से काठसल्ला गांव के पास जोरदार टक्कर हो गई। टक्कर में दोनों बाइकों के परखच्चे उड़ गए। घटना के बाद सीटुल के स्वजन उसे उपचार के लिए बंगाल लेकर चले गए। बंगाल के रामपुरहाट अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वहीं पुलिस ने घटना स्थल पर बेसुध पड़े आशीष माल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया। डॉ. रवीन्द्र नाथ ने आशीष को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया। आशीष की मौत भी रामपुरहाट के एक अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई। मौत की सूचना मिलते ही स्वजन में मातम छा गया। थाना प्रभारी दिनेश प्रसाद चौरसिया ने बताया कि घटना स्थल से दोनों बाइक को जब्त कर लिया गया है। पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

----------------------------------- छिन गया परिवार का सहारा

बाइक दुर्घटना में मौत के गाल में समाए आशीष माल और सीटुल शेख मजदूर थे। मजदूरी करके दोनों अपना घर परिवार चलाते थे। मौत की खबर सुनते ही स्वजन में मातम छा गया। बच्चे और पत्नी बार-बार बेहोश हो जा रहे थे। आशीष अपने पीछे दो लड़की तथा सीटुल एक लड़की व दो लड़का को छोड़ गए। सीटुल ने अपनी लड़की की शादी कर दी थी। आशीष के स्वजन ने बताया कि उसका घर का चिराग ही बूझ गया। आशीष मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। आशीष की पत्नी ने कहा कि उनकी दो लड़की है। उसकी शादी कैसे होगी। कौन बनेगा सहारा। यह सब कहकर आशीष की पत्नी फफक-फफक कर रो रही थी। वहीं सीटुल के स्वजन ने बताया कि सीटुल प्रतिदिन मजदूरी कर शाम में घर लौटता था। मजदूरी का पैसा से घर का चूल्हा जलता था। सीटुल की पत्नी यह कहकर रो रही थी कि उनके बेटे का भरण-पोषण कौन करेगा।


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