बंद हुई कपड़े की दुकान तो बेचने लगे दूध
पाकुड़ कोरोना संकट ने लोगों के रहने खाने और जीने का अंदाज बदल दिया। संकट की इस घड़
पाकुड़ : कोरोना संकट ने लोगों के रहने खाने और जीने का अंदाज बदल दिया। संकट की इस घड़ी में जिसने समय और परिस्थिति के अनुसार खुद को बदल लिया वह दूसरों के लिए मिशाल बन गए। ऐसे ही लोगों में शहर के रेडिमेट गारमेंट के व्यवसायी साजिद आलम। साजिद की हाटपाड़ा के समीप एक मार्केट में रेडिमेड गारमेंट की दुकान है। इसके जरिए वे अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। लॉकडाउन के कारण उनकी दुकान पिछले दो माह से बंद है। लॉकडाउन 2.0 के बाद लगा कि आने वाले कुछ दिनों में उनका दुकान खुलने वाला नहीं है। परिवार की जरूरत को कम नहीं किया जा सकता। सामने ईद का त्योहार है। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए उसने अपने दुकान के समीप ही दूध, बिस्किट व ब्रेड की दुकान लगा ली। ईद में खूब सेवईयां भी बेची।
परिवार की जरूरत ने बदल दिया व्यवसाय:
कोरोना संकट का निदान कब तक होगा और कपड़ा का व्यवसाय शुरू करने की अनुमति सरकार कब देगी कहना मुश्किल है। ऐसे में कब तक बेरोजगार बैठकर सरकार की ओर देखा जा सकता है। घर की जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। इससे अच्छा है कि लॉकडाउन में मिली छूट के अनुरूप ही कुछ नया काम शुरू किया जाए। यही सोचकर अपनी दुकान के समीप ही दूध, ब्रेड, बिस्किट, पानी का स्टॉल लगा लिया। ईद में अच्छा काम भी हुआ। डेढ माह से यह नया कारोबार चल रहा है। इससे परिवार चलाने लायक आय हो जा रही है। लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से पुराना कारोबार शुरू किया जाएगा।