घाटों पर छठ महापर्व के आयोजन पर प्रतिबंध
बुधवार से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू होने वाला है। भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य 20 नवंबर और दूसरा अर्घ्य 21 नवंबर को दिया जाएगा।
पाकुड़ : कोविड-19 के कारण इस बार तालाबों व नदियों के किनारे छठ महापर्व का आयोजन नहीं होगा। राज्य आपदा विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है। यह बातें उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने सोमवार को कहीं। उन्होंने जिलेवासियों से अपील की है कि जारी की गई गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करें।
बुधवार से चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू होने वाला है। भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य 20 नवंबर और दूसरा अर्घ्य 21 नवंबर को दिया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि छठ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए नदियों व तालाबों में केंद्र सरकार के निर्देशों और शारीरिक दूरी (दो गज दूरी) का पालन संभव नहीं है। ऐसे में लोगों को अपने घरों में ही इस बार छठ करना होगा। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश स्पष्ट कहा गया है कि इस बार छठ महापर्व के दौरान किसी भी नदी, लेक, डैम या तालाब के छठ घाट पर किसी तरह के कार्यक्रम के आयोजन की मनाही होगी। छठ घाट के समीप दुकान, स्टॉल आदि नहीं लगेगा। पर्व के दौरान सार्वजनिक स्थल पर पटाखा, लाइटिग और मनोरंजन संबंधी कार्यक्रम पर भी रोक रहेगा। इस बाबत सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारियों, थाना प्रभारियों एवं जिले के वरीय पदाधिकारियों व पुलिस पदाधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिया गया है।
सरकार के आदेश का विरोध :
छठ महापर्व को लेकर दिए गए राज्य सरकार के निर्देशों का बजरंग दल ने विरोध किया है। बजरंग दल के जिला संयोजक संदीप कुमार मंडल ने कहा कि लॉकडाउन के नियमों का हवाला देकर सिर्फ हिदुओं के पर्व त्योहार पर ही प्रतिबंध लगाया जाता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनाव व चुनाव प्रचार में लॉकडाउन के नियम प्रभावित नहीं हुए? उस समय कोरोना वायरस का ख्याल क्यों नहीं आया? छठ हिदुओं का भगवान सूर्य देवता के प्रति आस्था एवं श्रद्धा का पर्व है। छठ महापर्व के दिशा निर्देशों को झारखंड सरकार को वापस लेना होगा नहीं तो बजरंग दल एवं अन्य सभी हिदू संगठन सड़क पर उतरकर विरोध करेगी।