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402 आंगनबाड़ी केंद्रों को न अपना आंगन, न बाड़ी

संवाद सहयोगी, पाकुड़: नौनिहाल बच्चों को शिक्षा व पोषण देने के उद्देश्य से जिले में 1167 आंगनबाड

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 06:38 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 06:38 PM (IST)
402 आंगनबाड़ी केंद्रों को न अपना आंगन, न बाड़ी
402 आंगनबाड़ी केंद्रों को न अपना आंगन, न बाड़ी

संवाद सहयोगी, पाकुड़: नौनिहाल बच्चों को शिक्षा व पोषण देने के उद्देश्य से जिले में 1167 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इसमें 402 ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिन्हें आज तक अपना भवन नसीब नहीं हुआ है। ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवन में संचालित हैं। कुछ भवन तो काफी जर्जर हैं। कई आंगनबाड़ी केंद्र तो किराये की झोपड़ी में संचालित हैं। इस कारण केंद्र में बच्चों को समुचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।

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प्रतिमाह 750 रुपये लगता है किराया :

जिले के कुल 402 आंगनबाड़ी केंद्र को अपना भवन नहीं रहने के कारण समाज कल्याण विभाग को आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन भाड़े के मकान में करना पड़ता है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रति आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिमाह 750 रुपये की दर से विभाग को भाड़ा के मद में खर्चा करना पड़ता है।

------------------------ कहां-कहां भाड़े पर आंगनबाड़ी केन्द्र

प्रखंड संख्या

पाकुड़ सदर 82

हिरणपुर 54

लिट्टीपाड़ा 83

अमड़ापाड़ा 48

महेशपुर 80

पाकुड़यिा 55

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कोट

जिले मे कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र है जो भाड़ें के कच्चे मकान में संचालित है। जिले में मनरेगा के तहत आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण पूर्ण होने पर उन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को शिफ्ट कर दिया जाएगा।

रामप्रवेश कुमार

जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, पाकुड़

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बरामदे में होती है सेविकाओं की बैठक फोटो नंबर 29 पीकेआर 30 में लिट्टीपाड़ा : बाल विकास कार्यालय में कमरे के अभाव के कारण बरामदा में सेविका बैठने को मजबूर है। प्रखंड मुख्यालय स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय में प्रतिमाह 169 आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका पहुंचती है। कार्यालय में सेविकाओं के बैठने के लिए एक कमरा भी नहीं है। कमरे के अभाव के कारण सभी सेविकाओं को बैठने का जगह भी नहीं मिल पाता है। इस कारण सेविकाओं को कार्यालय के बाहर ही खड़ा रहना पड़ता है। सीडीपीओ कार्यालय में भवन में तीन कमरा है। इसमें कार्यालय, एक स्टोर रूम संचालित है। सीडीपीओ गीता एल्बिना बेसरा ने बताया कार्यालय में कमरे का अभाव रहने के कारण काफी परेशानी होती है। विभाग के वरीय पदाधिकारी को कई बार कार्यालय के लिए अतिरिक्त कमरे की मांग की गई है। बाबजूद अभी तक कोई पहल नहीं हुई है।


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