भंडरा में 7620 महिलाएं नारी सशक्तीकरण का मंत्र कर रहीं सार्थक
कभी अपने-अपने घरों की चाहरदीवारी में कैद रहने वाली महिलाएं अब खुद के साथ-साथ पूरे परिवार की तकदीर लिख रही हैं।
भंडरा (लोहरदगा) : कभी अपने-अपने घरों की चारदीवारी में कैद रहने वाली महिलाएं अब खुद के साथ-साथ पूरे परिवार की तकदीर लिख रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में कमजोर आर्थिक स्थिति और सामाजिक बेड़ियों में कैद महिलाएं महिला समूह का गठन जीवन में मानो नई उमंग लेकर आई है। प्रखंड क्षेत्र की 762 महिलाएं आजीविका महिला समूह के माध्यम से 7620 महिलाएं अब अपना खुद के व्यवसाय से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रही हैं। दूध व्यवसाय, सिलाई-कढ़ाई, अचार-पापड़ से लेकर सोलर लैंप बनाने सहित कई अन्य कार्यो में अब महिलाओं का दबदबा है, जो अब अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूती देने के साथ-साथ अपने-अपने बच्चों को भी बेहतर शिक्षा से जोड़ रही हैं। स्वावलंबन की ओर महिलाएं
प्रखंड के कुम्हरिया गांव में ¨चतामणी देवी बगैर कंयूटर शिक्षा प्राप्त किए ही बेसिक ज्ञान बच्चों से सीख कर आज अपने घर में चल रही हैं। दूध उत्पादन केंद्र में रोजाना 26 सौ लीटर दूध का कारोबार संभाल रही हैं। जबकि कभी मजदूर का काम कर लालन-पालन करने वाली प्रखंड मुख्यालय बस्ती के बाजार टांड़ निवासी मनमईत आज आजीविका महिला समूह से महज 15 हजार रुपए के ऋण से सिलाई-कढ़ाई का काम कर रही हैं। साथ ही मनमइत ने खुद की सिलाई-कढ़ाई की कमाई से बगैर सरकारी सहायता के ही जमीन खरीदकर अपना कच्चा मकान भी बना लिया है। जो लोगों के लिए एक बेहतर उदाहरण से कम नहीं हैं। कभी मजदूरी कर अपने परिवार का लालन-पालन करने वाली मनमइत कहती हैं कि आजीविका महिला समूह से जुड़ने के बाद समूह से 15 हजार का ऋण मिला था। जिससे 9 हजार का एक सिलाई मशीन खरीदी थी। उसी से हुई कमाई से आज दो सिलाई मशीन हो गया। साथ ही जमीन खरीदकर अपना घर भी भी बना लिया है। गन्ने की खेती से बढ़ी आय
मसमानो गांव की अंबुज आजीविका महिला समूह की रीना देवी भी कृषि के माध्यम से लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं। दो वर्ष पूर्व महिला आजीविका समूह से 30 हजार का ऋण से गन्ना की खेती प्रारंभ की थी। जो इस वर्ष उनका आय पांच लाख रूपया हो गया है। इसी तरह प्रखंड की कई महिलाएं भारत सरकार के 70 लाख सोलर लैंप योजना से भी जुड़ अपने-अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रही हैं।