Lok Sabha Polls 2019: विकास की राह ताक रहे शहीदों के गांव
Lok Sabha Polls 2019. हर राजनीतिक दल आम आदमी के साथ उसके क्षेत्र के विकास का दावा करता है। बस कोई छूट जाता है तो वह है हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानी।
लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। हर राजनीतिक दल आम आदमी के साथ उसके क्षेत्र के विकास का दावा करता है। चुनावी घोषणा पत्र में इसे स्थान भी दिया जाता है। इससे आम मतदाताओं को लुभाने की कोशिशें में खूब होती है। बस कोई छूट जाता है तो वह है हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद वीरों की भूमि। कई स्वतंत्रता सेनानियों को तो इतिहास में जगह तक नहीं मिल पाई है।
लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में भी शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों के गांव आज भी विकास की राह ताक रहे हैं। चुनाव के दौरान शहीद के गांव में रहने वाले हर व्यक्ति के जेहन में एक ही सवाल होता है कि आखिर शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों पर प्रतिनिधियों की नजरें कब इनायत होगी। लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड अंतर्गत 1857 क्रांति के वीर शहीद पांडे गणपत राय की धरती भौंरो ग्राम की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है।
यहां वायदे तो खूब हुए, पर विकास की किरण नहीं पहुंची। गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। समस्याएं अनगिनत है। कुडू प्रखंड के बंधुआ गांव को आज तक पहचान नहीं मिल पाई है। स्वतंत्रता सेनानी का यह गांव विकास से कोसों दूर है। यहां के ग्रामीण अपने आप को ठगा महसूस करते हैं।
यही हाल 1857 क्रांति के शहीद ठाकुर जगन्नाथ शाही देव के गांव हेंसापीढ़ी की भी है। इस गांव तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। कुडू प्रखंड के जिंगी गांव में स्थित लालू टाना भगत के गांव की हालत भी अच्छी नहीं है। जनप्रतिनिधि इन गांव के विकास को अपने चुनावी घोषणा पत्र में जगह तक देना जरूरी नहीं समझते हैं।