जंगल को अपनी संपत्ति बताने वाले ग्रामीणों ने मानी गलती
लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के सलैया सहित अन्य गांव के ग्रामीणों ने सलैया गांव में लगाए गए बोर्ड को लेकर अपनी गलती मान ली है। मामले में वन विभाग पुलिस विभाग और प्रखंड प्रशासन ने भी जांच की है। इसके बाद अब मामले को लेकर सभी ने राहत की सांस ली है। कुल मिला कर यह भी सामने आया है कि इस मामले में ग्रामीणों ने जानकारी के अभाव में इस प्रकार के गैन कानूनी कार्य को अंजाम दिया था। सलैया गांव में रविवार को कई गांव के
लोहरदगा : लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड अंतर्गत सलैया सहित अन्य गांव के ग्रामीणों ने जंगल को अपनी संपत्ति बताकर सलैया गांव में लगाए गए बोर्ड को लेकर अपनी गलती मान ली है। मामले में वन विभाग, पुलिस विभाग और प्रखंड प्रशासन ने भी जांच की है। इसके बाद अब मामले को लेकर सभी ने राहत की सांस ली है। कुल मिलाकर यह भी सामने आया है कि इस मामले में ग्रामीणों ने जानकारी के अभाव में इस प्रकार के गैर कानूनी कार्य को अंजाम दिया था। सलैया गांव में रविवार को कई गांव के ग्रामीणों ने बैठक कर वन विभाग को सूचना दिए बिना ही सलैया गांव में एक बोर्ड लगा दिया था। जिसमें वन संपत्ति को सामुदायिक और ग्रामीणों की संपत्ति बता दिया गया था। इसे लेकर दैनिक जागरण के 15 अप्रैल के अंक में पहले पेज पर ग्रामीणों ने जंगल को अपनी संपत्ति बताकर लगाया बोर्ड शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। जिसके बाद जिला प्रशासन, वन विभाग और पुलिस प्रशासन हरकत में आया। सोमवार को किस्को अंचलाधिकारी बुड़ाई सारू, किस्को अंचल के पुलिस निरीक्षक शारदा रंजन प्रसाद, थाना प्रभारी जगन्नाथ उरांव, वन विभाग की टीम ने सलैया पहुंचकर मामले की जांच की। इसके अलावा एसपी प्रियदर्शी आलोक, डीएफओ विकास कुमार उज्जवल आदि भी मामले पर नजर बनाए हुए थे। पुलिस और वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को कड़ी फटकार लगाते हुए बोर्ड को हटवाया। ग्रामीणों ने टीम के समक्ष अपनी गलती मानी। ग्रामीणों ने टीम से कहा कि उन्हें नियमों की जानकारी नहीं थी। इसके बाद ग्रामीणों को थाना प्रभारी ने किस्को थाना परिसर में बुलाकर मामले की पूरी जानकारी ली। पुलिस और वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों से कहा कि ग्रामीणों का काम जंगल की रक्षा और लोगों को जंगलों की रक्षा को लेकर जागरूक करना है। वे कानून बनाने की कोशिश न करें। किसी प्रकार की शिकायत मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामले में डीएफओ विकास कुमार उज्जवल ने कहा कि विभाग की टीम ने प्रारंभिक जांच की है। जिसमें ग्रामीणों ने कानून में किसी प्रकार की दखल से इंकार किया है। जांच अभी जारी है। फिर भी प्रारंभिक जांच से स्पष्ट है कि इस मामले में ग्रामीणों ने जागरूकता के अभाव में ऐसी गलती की है। विभाग पूरी जांच रिपोर्ट के बाद ही कोई कार्रवाई करेगा।