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आदिवासियों की संस्कृति, परंपरा से खिलवाड़ कर रही सरकार : विधायक

सरना विचार मंच की बैठक रविवार को प्लस टू नदिया हिन्दू हाई स्कूल सभागार में संजय भगत की अध्यक्षता में आयेजित हुई। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए विधायक सुखदेव भगत का पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया। बैठक में आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति पर प्रहार, जमीन कानून में संसोधन,

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 09:54 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 09:54 PM (IST)
आदिवासियों की संस्कृति, परंपरा से खिलवाड़ कर रही सरकार : विधायक
आदिवासियों की संस्कृति, परंपरा से खिलवाड़ कर रही सरकार : विधायक

लोहरदगा : सरना विचार मंच की बैठक रविवार को नदिया हिन्दू उच्च विद्यालय के सभागार में संजय भगत की अध्यक्षता में हुई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय विधायक सुखदेव भगत शामिल हुए। जिनका स्वागत पारंपरिक ढंग से किया गया। बैठक में आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति पर प्रहार, भूमि अधिग्रहन में संसोधन, आरक्षण, पांचवी अनुसूची व संगठन मजबूती समेत कई मुददों पर चर्चा की गई। मौके पर विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि भाजपा की राज्य सरकार आदिवासियों की संस्कृति व परंपराओं के साथ खिलवाड़ कर रही है।

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आदिवासियों के लिए प्रकृति आस्था का केंद्र है। आदिवासियों की धार्मिक परंपरा, रीति रिवाज, प्रकृति के चारों और घूमती है। आदिवासी समाज सामूहिकता, सामुदायिकता से चलता है। भगत ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों की धार्मिक पहचान नष्ट करने का प्रयास कर रही है, जमीन आदिवासियों के लिए सिर्फ जमीन का टुकड़ा ही नहीं वरन आदिवासियों की जीवन शैली से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार लैंड बैंक के नाम पर आदिवासियों की सामाजिक एवं परंपरागत जमीन हड़प रही है। भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर राज्य सरकार आदिवासियों की जमीन पूंजीपतियों को देना चाहती है। सरकार के इस मंसूबे को कभी भी पूरा नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए आदिवासी समाज को जन आंदोलन करने की जरूरत है।

सरना विचार मंच के महासचिव अभिनव सिद्धार्थ ने कहा कि आदिवासी समाज के उत्थान के लिए युवाओं को आगे आने की जरूरत है। सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास को हमें दूर करने के लिए जागरूकता लाने की जरूरत है। मौके पर फूलदेव उरांव, मनोज भगत, मुखिया विजय कुमार खाखा, सुरेंद्र लोहरा, पूर्व मुखिया रमेश उरांव, शनिचरवा उरांव, किशोर भगत, जोगेंद्र उरांव, गणपत उरांव, नारायण उरांव, राजेश भगत, चंदर उरांव, गुंजा उरांव, कीर्तिचंद्र भगत, दयानंद लोहरा, निरंजन उरांव, लक्ष्मण उरांव, मंगेश्वर उरांव, जतरू उरांव, विवेक उरांव, कार्तिक कुजूर, सरोज उरांव, शनिदयाल उरांव, विजय उरांव, अमित उरांव, सुभाष उरांव, सीताराम उरांव, फूल कुमार भगत, बनारसी उरांव, रामदेव पाहन, तिका उरांव, लच्छू उरांव आदि मौजूद थे।


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