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इमली से तैयार हों उत्पाद तो बढ़ेगा रोजगार का स्वाद

जागरण संवाददाता लोहरदगा कृषि प्रधान और आदिवासी बहुल लोहरदगा जिले में इमली से जुड़ा व्यवसाय बढ़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 09:56 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:21 AM (IST)
इमली से तैयार हों उत्पाद तो बढ़ेगा रोजगार का स्वाद
इमली से तैयार हों उत्पाद तो बढ़ेगा रोजगार का स्वाद

जागरण संवाददाता, लोहरदगा : कृषि प्रधान और आदिवासी बहुल लोहरदगा जिले में इमली से जुड़ा कारोबार यहां पर आर्थिक मजबूती प्रदान करता है। साल के 4 महीने तक लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिल पाता है। यदि इमली से उत्पाद तैयार किए जाएं तो यहां पर रोजगार का स्वाद भी बढ़ जाएगा। अभी इमली को दूसरे प्रदेशों में बेचने का काम किया जा रहा है। इसी के माध्यम से हजारों परिवारों को रोजगार मिल पाता है। जरा उस स्थिति की भी कल्पना करनी होगी, जब इमली से यहीं पर उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसके बाद जितने लोगों को रोजगार मिलेगा, शायद किसी और योजना में उतने लोगों को रोजगार ना मिल पाए। इमली से संबंधित उद्योग को लेकर पहल की जरूरत महसूस की जा रही है।

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लोहरदगा से उत्तर प्रदेश, बरेली सहित कई स्थानों में इमली भेजी जाती है। इमली को रोजगार के बड़े साधन के रूप में अब तक किसी की नजर तो नहीं गई है, पर लोहरदगा इमली के बड़े उत्पादक जिलों में से एक माना जाता है। पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में इमली ऐसा उत्पाद है। जिसके माध्यम से परिवारों को आर्थिक मजबूती मिलती है। सामान्य रूप से भी एक-एक परिवार हर साल 10 से 20 हजार रूपए इमली बेच देता है। जिससे उसके जरूरी काम हो जाते हैं। यदि इमली से संबंधित उत्पाद यहीं पर तैयार किए जाएं तो यह मुनाफा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। सीधे तौर पर हम बात करें तो इमली को लेकर एक ढांचा तैयार करने की जरूरत है।

इमली से संबंधित उद्योगों को छोटे-छोटे तौर पर शुरू करना होगा। पंचायत-प्रखंड स्तर पर इमली से संबंधित उद्योग की स्थापना से रोजगार के साधन सृजित होंगे। लोहरदगा जिले में हर साल जितना इमली का उत्पादन होता है, वह किसी भी उद्योग की स्थापना के लिए पर्याप्त है। दिलचस्प बात यह है कि अभी तक इमली तोड़कर बेचने वाले लोगों को बस मजदूरी ही मिलती आई है। जबकि इमली से संबंधित उद्योग की स्थापना करने से कहीं अधिक मुनाफा मिलेगा। इमली से चटनी, जैम सहित कई उत्पाद तैयार होते हैं। इन उत्पादों के सहारे दूसरे प्रदेश में बड़े व्यापारी लाखों-करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाते हैं। यह मुनाफा लोहरदगा के लोगों को भी मिल सकता है, बस इसके लिए एक ठोस पहल करने की जरूरत है। सिर्फ इमली ही नहीं इमली का बीज भी अच्छे भाव दे जाता है। यानी कि कह सकते हैं कि आम के आम गुठलियों के दाम। इमली की बिक्री को लेकर एक बाजार तैयार करने की जरूरत है।

स्थानीय तौर पर बाजार मिलने से रोजगार तो बढ़ेगा ही इसके अलावा एक नए उत्पाद को पहचान भी मिल पाएगी। अभी तक लोहरदगा जिला सिर्फ इमली के उत्पादक जिलों में शामिल रहा है। जबकि इमली से संबंधित उद्योग की स्थापना से यह इमली के उत्पाद तैयार करने वाले जिलों में भी शामिल हो सकता है।


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