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नक्सलियों ने बदला तरीका, अब मोबाइल नहीं डाकिया से ले रहे काम

मोबाइल और इंटरनेट के युग में किसी को भी जरा सा यह संदेह नहीं होगा कि नक्सली संगठन अब मोबाइल के बजाय डाक विभाग के तरीके से अपना काम निकाल रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:04 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 10:04 PM (IST)
नक्सलियों ने बदला तरीका, अब मोबाइल नहीं डाकिया से ले रहे काम
नक्सलियों ने बदला तरीका, अब मोबाइल नहीं डाकिया से ले रहे काम

लोहरदगा : मोबाइल और इंटरनेट के युग में किसी को भी जरा सा यह संदेह नहीं होगा कि नक्सली संगठन अब मोबाइल के बजाय डाक विभाग के तरीके से अपना काम निकाल रहे हैं। लोहरदगा में 4 नक्सली समर्थकों या कहें कि कुरियर ब्यॉय की गिरफ्तारी से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने हाल के दिनों में मोबाइल सर्विलांस के कारण कई नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद अपने काम करने का तरीका ही बदल डाला है। नक्सली मोबाइल फोन के बजाय अब डाकिया का सहारा ले रहे हैं। सीधे-साधे ग्रामीणों और अपने समर्थकों के सहारे अपनी जरूरत की सूचनाओं का आदान-प्रदान ही नहीं करते बल्कि विस्फोटक और अन्य सामानों का भी लेना-देना करते हैं। लोहरदगा में 4 नक्सली समर्थकों की गिरफ्तारी के बाद उनसे पूछताछ में कुछ ऐसा ही खुलासा हुआ है। नक्सली समर्थकों के पास से बरामद माओवादी लेटर पैड और अन्य सामान में जो बातें खुलकर सामने आई है वह पुलिस के लिए ¨चता का विषय है। मोबाइल का इस्तेमाल करने से नक्सली बड़ी आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आ रहे थे। अब नक्सलियों ने डाकिया के माध्यम से काम लेना शुरू किया है। जिससे पुलिस के लिए सफेदपोश या डाकिया तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जा रहा है। चिट्ठी लिखकर नक्सली संगठन के शीर्ष कमांडर अपने समर्थकों को निर्देश जारी करते हैं। इस चिट्ठी में ना सिर्फ सामान के आदान-प्रदान को लेकर सूचनाएं होती है, बल्कि पुलिस की गतिविधि के बारे में भी जानकारी इसी प्रकार से साझा की जाती है। एसपी प्रियदर्शी आलोक ने इस बात को स्वीकार किया है कि हाल के समय में नक्सली संगठनों ने अपने काम करने का तरीका ही बदल डाला है। ---अपराधी गतिविधि में जेल जा चुका है मनोज साहू

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भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के हार्डकोर नक्सली और जोनल कमांडर र¨वद्र गंझू के लिए सलगी निवासी मनोज साहू की गिरफ्तारी सबसे बड़ा झटका है। मनोज साहू आपराधिक गतिविधियों में पहले भी जेल जा चुका है। मनोज साहू और र¨वद्र गंझू के बीच इन दिनों काफी नजदीकी रिश्ते थे। पुलिस को जो तथ्य सामने हाथ लगे हैं उसमें यह बात स्पष्ट हो रही है कि र¨वद्र गंझू मनोज साहू के सहारे ना सिर्फ सूचनाओं का आदान-प्रदान और विस्फोटक सहित अन्य सामानों का लेन-देन कर रहा था, बल्कि वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए भी मनोज साहू का सहारा लेता था। मनोज साहू ही र¨वद्र गझू को मोटरसाइकिल उपलब्ध कराता था। इसके अलावा मनोज साहू आसपास के क्षेत्रों से माओवादी नक्सली संगठन के लिए लेवी वसूली कर र¨वद्र गंझू तक पहुंचाने का काम कर रहा था। पुलिस को जो माओवादी लेटर पैड हाथ लगा है उसमें यह साफ पता चल रहा है कि र¨वद्र गंझू हाल के समय में मनोज साहू के सहारे ठेकेदार और अन्य लोगों तक अपने संदेश पहुंचाने का भी काम कर रहा था। मनोज साहू मनरेगा का काम करता है। इसके अलावा वह र¨वद्र के नाम पर लोगों से पैसे की उगाही भी कर रहा था। ----पांव पसारने की फिराक में है नक्सली

भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के शीर्ष नक्सली कमांडरों के आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी के बाद लोहरदगा और लातेहार जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवादी जोनल कमांडर र¨वद्र गंझू सक्रिय हो चुका है। संगठन को फिर से क्षेत्र में प्रभावी बनाने को लेकर र¨वद्र गंझू बेहद तेजी से काम कर रहा है। वह पुलिस को नुकसान पहुंचा कर भाकपा माओवादी नक्सली संगठन का सिक्का जमाना चाहता है। यही वजह है कि हाल के दिनों में र¨वद्र की गतिविधि ना सिर्फ बढ़ी है, बल्कि वह सीधे तौर पर घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को चुनौती दे रहा है। र¨वद्र की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस अभियान में जुटी हुई है।


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