तुसगांव में लगा था जनता दरबार, सनई टांगर पर बैठे थे माओवादी
गुमला : नक्सलवाद से प्रभावित दीरगांव पंचायत के तुसगांव विद्यालय परिसर में बुधवार को लगे जनता दरबा
गुमला : नक्सलवाद से प्रभावित दीरगांव पंचायत के तुसगांव विद्यालय परिसर में बुधवार को लगे जनता दरबार में उस समय अधिकारियों के कान खड़े हो गए जब किसी ने आकर एएसपी अभियान सरोज कुमार को सनई टांगर यानि सनई गांव के पहाड़ पर माओवादियों के बुधेश्वर दस्ता की होने की गोपनीय जानकारी दी। जनता दरबार चलता रहा। जनता बैठी रही। अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के भाषण को सुनती रही। नक्सलवाद से अति प्रभावित इस गांव में लगे जनता दरबार में मंचासीन एसपी अंशुमन कुमार अचानक उठ खड़े हुए। कार्यक्रम स्थल के पीछे जाकर एएसपी की उपस्थिति में सूचना दाता से पूछताछ की। एएसपी उसके बातों को कागज पर नोट कर रहे थे। जहां पूछताछ चल रही थी वहं किसी को जाने की अनुमति नहीं दी गई। पूछताछ खत्म होने के बाद एसपी अंशुमान कुमार, एएसपी सरोज कुमार, एसडीपीओ भूपेन्द्र प्रसाद रावत, घाघरा थाना प्रभारी सुदामा चौधरी आदि को लेकर विकास भारती द्वारा चलाए जा रहे आदिम जनजाति विकास विद्यालय तुसगांव के पीछे चले गए। लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है। विकास के हथियार से माओवादियों की अभियान को कुंद करने की मंशा लेकर पहुंचे उपायुक्त श्रवण साय और उनके सहयोगी अधिकारी कार्यक्रम का संचालन ऐसे करते और कराते रहे मानो कहीं कुछ हुआ ही नहीं हो। लेकिन इतना जरूर हुआ कि थोड़ी देर के लिए हलचल मच गया। पुलिस के जवान कार्यक्रम के चारों ओर बिखर कर तैनात हो गए और अपने हथियारों से पोजीशन ले ली। पुलिस के जवान चौकस नजर आ रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार तुसगांव में ही माओवादियों का दस्ता कुछ दिन पहले ठहरा हुआ था। जनता दरबार को लेकर प्रशासन की गतिविधियों की जानकारी माओवादी दस्ता लेना चाहता था। लेकिन पुलिस की सुरक्षा घेरा सु²ढ पाकर तुसगांव से साढ़े तीन किलोमीटर दूर माओवादियों का दस्ता जंगल के बीच जा छिपा। माओवादियों की होने की भनक मिलते ही पुलिस ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली थी। घाघरा के रूकी गांव से ही पुलिस बल को न सिर्फ तैनात किया गया था बल्कि चौकस रहने का भी निर्देश दिया था। विमरला और केदली के बीच पुलिस बल को तैनात किया गया था। उसके बाद तुसगांव में भी बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान तैनात किए गए थे। पुलिस की सुरक्षा घेरा मजबूत महसूस कर माओवादी अपना पांव पीछे ¨खचने को विवश हुए। माओवादियों ने घाघरा तुसगांव पथ के निर्माण को लेवी के लिए बनने से रोक दिया है। लेवी की वसूली की मंशा से ही माओवादी का दस्ता दीरगांव पंचायत के गांवों में स्थान बदल-बदल कर रह रहा है। माओवादी
नक्सली संगठन द्वारा आयोजित जनता दरबार के बगल के भवनों के दीवारों पर नारे लिखे हुए थे। जिसमें अपने संगठन का ¨जदाबाद और पुलिस को मुर्दाबाद भी लिखा हुआ था। पुलिस दमन के खिलाफ लोगों से गोलबंद होने का भी आह्वान किया गया था।लिखे नारे को पुलिस के जवानों ने देखा फिर जवान वापस चले गए। इससे तुसगांव एवं आस पास के क्षेत्र में माओवादियों के गतिविधियों का भी खुलासा हुआ।