लोहरदगा में हाथियों ने जमकर मचाया है उत्पात
जंगल में मानव के बढ़ते दखल ने जंगली जीवों को आबादी वाले क्षेत्र में आने को मजबूर कर दिया है।
राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा : जंगल में मानव के बढ़ते दखल ने जंगली जीवों को आबादी वाले क्षेत्र में आने को मजबूर कर दिया है। लोहरदगा जिले के अमूमन हर क्षेत्र में हाथियों का बढ़ता आतंक आम लोगों को भयभीत कर रहा है। लोहरदगा जिले के ग्रामीण इलाकों में हाथियों के आतंक से ग्रामीण तो परेशान थे ही, लोहरदगा शहर के लोगों को भी वर्ष 2020 में हाथियों को शहर में टहलते हुए देख कर भय का अहसास हुआ। विगत 20 अगस्त 2020 को लोहरदगा शहर में दो हाथियों के विचरण की घटना ने लोहरदगा शहर के लोगों को भय के माहौल में ला दिया था। हालांकि हाथियों ने लोहरदगा शहरी क्षेत्र में कुछ विशेष नुकसान नहीं पहुंचाया था, परंतु किसी को अहसास नहीं था कि लोहरदगा के शहरी इलाके में भी जंगली हाथी पहुंच सकते हैं। बहरहाल ग्रामीण क्षेत्रों में साल 2020 में हाथियों के विचरण की घटना और उत्पात की घटना ने कई ग्रामीणों को काफी नुकसान दिया था। हाथियों द्वारा पहुंचाए गए नुकसान को लेकर विगत एक वर्ष में कुल 16 मामलों में वन विभाग ने प्रभावितों को मुआवजा दिया था। ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों ने नौ मकानों को नष्ट किया था। जबकि एक किसान की फसल को नष्ट कर दिया था। हाथियों ने घर में रखे हुए दस ग्रामीणों के अनाज को भी बर्बाद कर दिया था। इसके अलावे दो मवेशियों को भी मार डाला था। कुल मिला कर हाथियों से हुए नुकसान को लेकर एक साल में 5.48 लाख रुपये का वन विभाग ने मुआवजा दिया था। विन विभाग फसल नष्ट करने के मामले में 80 रुपये प्रति डिसमिल मुआवजा देता है। जबकि अनाज नष्ट करने के मामले में 16 सौ रुपये प्रति क्विटल का मुआवजा दिया जाता है। बकरा-बकरी के मारे जाने पर तीन हजार रुपये दिए जाते हैं। कुल मिला कर हर साल वन विभाग को हाथियों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने के मामले में हर साल काफी पैसा मुआवजे के रूप में देना पड़ता है।