कड़ाके की सर्दी ने घर से निकलना किया मुश्किल
लोहरदगा में मौसम अब असहनीय हो गया है। जिले में कड़ाके की सर्दी से घर से निकलना भी मुश्किल हो चुका है। हर रोज तापमान में गिरावट आ रही है।
लोहरदगा : लोहरदगा में मौसम अब असहनीय हो गया है। जिले में कड़ाके की सर्दी से घर से निकलना भी मुश्किल हो चुका है। हर रोज तापमान में गिरावट आ रही है। ठंड में बढ़ोतरी की वजह से फसल पर तो आफत है ही मौसमी बीमारियों में भी बढ़ोतरी हो गई है। छोटे बच्चों, वृद्धों का बुरा हाल है। पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में और भी ज्यादा ठंड पड़ रही है। सोमवार को जिले का न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 21.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हालत यह है कि ओस की बूंदें अब बर्फ में तब्दील हो जा रही हैं। जिसकी वजह से फसलों को पाला मारने का खतरा सताने लगा है। हालांकि जिला कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग के कर्मी लगातार किसानों को इस दिशा में मार्गदर्शित कर रहे हैं। किसानों को बताया जा रहा है कि किस तरीके से अपने फसलों को बचा सकते हैं। अभी सबसे ज्यादा फसलों में सब्जी की खेती में आफत दिखाई दे रही है। कुल मिलाकर किसानों को अपनी फसलों को बचाने को लेकर एक ¨चता का भाव भी नजर आ रहा है। जिले में ठंड में बढ़ोतरी के कारण आम वर्ग काफी परेशान है। सुबह और शाम के समय तो जैसे हवा में बर्फ घुल जाता है। घर से बाहर निकलते ही हाथ और पैर सुन्न पड़ जा रहे हैं। ठंड की वजह से लोग अलाव के आसपास सिमट कर रह गए हैं। सर्दी-खांसी से लोग परेशान होने लगे हैं। शहरी क्षेत्र के अलग-अलग स्थानों में नगर परिषद और स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से अलाव की व्यवस्था की गई है। जिससे लोगों को कुछ हद तक राहत मिली है। कंबल वितरण की दिशा में अब तक व्यापक स्तर पर कोई पहल दिखाई नहीं दे रही है। सरकारी स्तर पर सभी स्थानों में गरीब और असहाय लोगों को कंबल उपलब्ध कराने की दिशा में पहल नहीं हो सकी है। ठंड के कारण छोटे बच्चों का ज्यादा बुरा हाल है। स्कूल जाने वाले बच्चों को तो जैसे कांपते हुए स्कूल जाना पड़ रहा है। कुछ स्कूलों ने कक्षाओं में अलाव की व्यवस्था कर बच्चों को राहत देने की कोशिश भी की है। फिर भी सुबह सवेरे स्कूल जाने और शीत लहरी की वजह से बच्चे काफी परेशान है। जिला प्रशासन द्वारा सुबह 10:00 बजे से 3:00 बजे तक विद्यालय का समय अवधि निश्चित किया गया है। फिर भी इस दिशा में सभी निजी स्कूलों ने अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया है। कई स्कूल तो अब भी प्रात: कालीन ही संचालित हो रहे हैं। इस बात को लेकर अभिभावकों में भी रोष है।