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नगर परिषद में गड़बड़ियों की जांच शुरू, नहीं मिले कागजात

लोहरदगा : नगर परिषद कार्यालय में गड़बड़ी, अनियमितता और घोटालों की जांच के लिए शनिवार को पहुंची टीम की

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 09:02 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 09:02 PM (IST)
नगर परिषद में गड़बड़ियों की जांच शुरू, नहीं मिले कागजात
नगर परिषद में गड़बड़ियों की जांच शुरू, नहीं मिले कागजात

लोहरदगा : नगर परिषद कार्यालय में गड़बड़ी, अनियमितता और घोटालों की जांच के लिए शनिवार को पहुंची टीम की जांच अधूरी ही रह गई। जांच टीम को नगर परिषद कार्यालय के अधिकारियों और कर्मियों द्वारा पूरे कागजात उपलब्ध नहीं कराए गए। हालांकि मामले की जांच अभी जारी रहेगी। विधायक सुखदेव भगत द्वारा नगर परिषद में अनियमितता और घोटालों की शिकायत नगर विकास विभाग से करते हुए जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग रखी थी। इसपर विभाग ने तुरंत संज्ञान लिया और नगर विकास विभाग के अवर सचिव ने डीसी विनोद कुमार से पत्राचार करते हुए मामले में टीम गठित कर जांच का निर्देश दिया था। इसके बाद उपायुक्त विनोद कुमार ने नगर विकास विभाग के अवर सचिव के पत्र का हवाला देते हुए मामले में एसी रंजीत कुमार सिन्हा, कार्यपालक दंडाधिकारी मनीष कुमार, डीआरडीए के लेखापाल तहसीन अहमद की तीन सदस्यीय टीम गठित कर विधायक सुखदेव भगत द्वारा रखे गए मामलों की ¨बदुबार जांच का निर्देश दिया था। साथ ही डीसी ने टीम के सदस्यों को पूरे मामले की जांच कर ¨बदुबार जांच प्रतिवेदन 15 दिनों के भीतर उपलब्ध कराने को कहा है।

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सिर्फ रोकड़ पंजी मिला वह भी आधा-अधूरा

लोहरदगा : जांच टीम जब नगर परिषद कार्यालय पहुंची तो, वहां टीम को सिर्फ रोकड़ पंजी ही दिया गया, वह भी आधा-अधूरा था। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना की पंजी, सामान्य रोकड़ पंजी, अस्थायी अग्रिम पंजी, असैनिक निर्माण कार्य पंजी, योजना पंजी व अन्य पंजियों को नगर परिषद के कार्यपालक अधिकारी व कर्मी उपलब्ध नहीं करा सके। इसकी वजह से जांच प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। जांच टीम अब फिर एक बार नप कार्यालय पहुंचकर आरोप की गहराई से जांच-पड़ताल करेगी। जांच टीम में शामिल अपर समाहर्ता रंजीत कुमार सिन्हा, कार्यपालक दंडाधिकारी मनीष कुमार, डीआरडीए के लेखापाल तहसीन अहमद नगर परिषद कार्यालय आए थे, जिन्हें नप के कार्यपालक पदाधिकारी गंगा राम ठाकुर एवं नप कर्मी सफदर आलम जांच टीम को कागजात वैगरह उपलब्ध करा रहे थे। जांच के दौरान अधिकारियों ने बार-बार पंजियों की मांग की, परंतु उन्हें सभी पंजी उपलब्ध नहीं कराया जा सका। इसकी वजह से जांच अधिकारी नाराज दिखे और जांच प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर सके।


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