विधायक पर प्राथमिकी दर्ज कराने में ईओ को लगे 13 दिन
लोहरदगा : नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गंगा राम ठाकुर ने विधायक सुखदेव भगत, नप अध्यक्ष अनुपमा भग
लोहरदगा : नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गंगा राम ठाकुर ने विधायक सुखदेव भगत, नप अध्यक्ष अनुपमा भगत, नगर परिषद के प्रधान सहायक गजेंद्र राम, कांग्रेस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष आलोक कुमार साहु, विधायक की सुरक्षा में तैनात चार सुरक्षाकर्मी सहित अन्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं। घटना 15 मई 2018 की बताई जा रही है। ईओ को विधायक व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में 13 दिन का समय लग गया। विधायक, नप अध्यक्ष पर प्राथमिकी से बवाल मच गया है। राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा-परिचर्चा का दौर चल रहा है। सदर थाना पुलिस भी इस गंभीर मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस के अनुसंधान के बाद आगे की कार्रवाई क्या होती है इसका इंतजार लोगों को शुरू हो गया है। पूरे मामले पर विधायक सुखदेव भगत का कहना है कि नगर परिषद को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की मुहिम को रोकने के लिए उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराकर रोकने का प्रयास किया गया है, जो सफल नहीं होगा। ईओ के विरुद्ध कई गड़बड़ी की शिकायत पहले से भी है, जिनके खिलाफ जांच चल रही है। यहां पर कुछ बेहतर करने का प्रयास किया गया, लेकिन बेबुनियाद आरोप लगाकर उलझाने का काम किया जा रहा है। ईओ द्वारा की गई गड़बड़ी को छिपाने के उद्देश्य से की गई कार्रवाई और उनकी मंशा कभी पूरी नहीं होगी। ईओ की सभी गड़बड़ियां जनता के सामने आएगी और मामले का पट्टाक्षेप होगा। क्या है पूरा मामला
लोहरदगा : नगर परिषद के ईओ गंगा राम ठाकुर ने पुलिस को आवेदन देते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। ईओ ने एसपी को आवेदन दिया था। जिसे एसपी ने सदर थाना प्रभारी को अग्रसारित करते हुए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया था। एसपी को दिए आवेदन में ईओ ने कहा है कि 15 मई 2018 को अपराह्न 3.30 बजे विधायक सुखदेव भगत द्वारा आलोक साहू के माध्यम से विधायक आवास आने को कहा गया। चंद मिनट के बाद विधायक के बाहर जाने की बात कहते हुए तुरंत आने का दबाव बनाया गया। वे 4 बजे विधायक आवास पहुंचे तो कार्यालय के प्रधान सहायक गजेंद्र राम कर्मियों के कार्य बंटवारे का आदेश पत्र लेकर पहले से ही वहां मौजूद थे। सफदर आलम रोकड़पाल का काम करते रहे हैं। उन्हें उनके पद से हटाकर प्रधान सहायक गजेंद्र राम को प्रभार देने का दबाव विधायक द्वारा दिया जा रहा था। इस प्रकरण में गजेंद्र राम की भूमिका संदेहास्पद रही है। ईओ ने कहा है कि कार्यालय की मर्यादा को देखते हुए नियमाकूल कार्यालय आदेश के तहत सभी प्रमुख कर्मियों का पुन: कार्य बंटवारा कर सहायक सफदर आलम को हटाकर गजेंद्र राम को प्रभार देने का आदेश 15 मई 2018 को ज्ञापांक 440 के माध्यम से दिया गया। इस पर विधायक से 13 मई को ही दूरभाष पर अनुमति ली जा चुकी है। ईओ ने कहा है कि विधायक से सहमति व उनके आदेश पर निकाले गए आदेश पत्र पर भी विधायक द्वारा आपत्ति व्यक्त की गई। विधायक का कहना था कि उनके द्वारा दिए गए हस्तलिखित पर्चा के शब्दों को पत्र में क्यों नहीं उतारा गया। विधायक आपे से बाहर हो गए। उन्होंने गालियां देते हुए कार्यालय आदेश को फाड़ दिया। विधायक ने कहा कि आज मेरे पिताजी की पुण्यतिथि है, आवास में नहीं मारेंगे। कार्यालय चलो वहीं मारेंगे। विधायक ने कहा कि यदि शाम 6 बजे तक ईओ लोहरदगा नहीं छोड़ते हैं तो समर्थकों से सार्वजनिक रूप से पिटवाएंगे। इसी बीच विधायक के सुरक्षा कर्मियों ने उन पर बंदूक तानकर धमकाया। उनके साथ दिव्या पैलेस के समीप मारपीट की गई। साथ ही कार्यालय वैन में जबरन बैठाकर फिर मारपीट की गई। प्रधान सहायक द्वारा जबरन तैयार आदेश पत्र में हस्ताक्षर कराया गया। इससे पूर्व 8 मई को विधायक सुखदेव भगत, नप अध्यक्ष अनुपमा भगत ने कार्यालय में जबरन पंजियों का फोटो अपने मोबाइल पर खींचा है। इसके अलावा भी विधायक पर कई संगीन आरोप लगाए गए हैं।