पानी नहीं कचरे से भर रहा कुडू तालाब
राहुल कुमार चौधरी कुडू (लोहरदगा) कुडू बस स्टैंड पहुंचते ही इस तालाब का पानी लोगों को बता देता था कि आप कुडू पहुंचने वाले हैं।
राहुल कुमार चौधरी, कुडू (लोहरदगा) : कुडू बस स्टैंड पहुंचते ही इस तालाब का पानी लोगों को बता देता था कि आप कुडू पहुंच चुके हैं। कभी यह तालाब कुडू बस स्टैंड की पहचान थी। निर्मल जल तालाब की पहचान थी। तालाब का पानी आसपास के घरों और होटलों में उपयोग में लाया जाता था। तालाब के कारण क्षेत्र में जल स्तर भी काफी बेहतर था। अब तो तालाब की बदहाली के कारण यहां पर पानी नहीं बल्कि कचरे से तालाब भर रहा है। आसपास के घरों, होटलों और राहगीरों द्वारा कचरे को तालाब में डाला जाता है। तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। बूंद बूंद को तरस रहा कुडू बस स्टैंड का तालाब दुहाई दे रहा है कि अब तो माफ कर दो। जीर्णोद्धार और जागरूकता की कमी के कारण तालाब कचरा डंपिग यार्ड बन रहा है। पूरे तालाब में एक बूंद भी पानी नहीं है। गंदगी के कारण यहां से गुजरने वाले राहगीर दुर्गंध के कारण कपड़े से मुंह ढक लेते हैं। तालाब का जीर्णोद्धार कराया जाना चाहिए। जिससे बारिश के मौसम में पानी की हर एक बूंद को सहेजा जा सके। आसपास के लोग यहां कूड़ा फेंकते हैं। इसके अलावा बस स्टैंड में स्थित होटल, दुकान के सभी कचरे यहीं लाकर फेंका जाता है। पहले कई बार स्थानीय लोग कूड़ा फेंकने का विरोध कर चुके हैं, पर कोई फायदा नहीं हुआ। तालाब की गहराई भी नहीं रही। आसपास से मिट्टी का कटाव भी किया गया है। तालाब की अपनी जमीन भी कम होती जा रही है। तालाब का जीर्णोद्धार करने से जल संचयन भी होता और आसपास के खेतों में खेती भी होती। हाल तो यह है कि मवेशियों को भी पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है।