Lok Sabha Polls 2019: यहां मानव तस्करी नहीं बन पाता कभी चुनावी मुद्दा
Lok Sabha Polls 2019. लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के लिए कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो यहां के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं। बावजूद इसके यह कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता है।
लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के लिए कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो यहां के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं। बावजूद इसके यह कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता है। ऐसे हालात में इन समस्याओं के निराकरण को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं हो पा रही है। इसी में से एक है मानव तस्करी। मानव तस्करी की जड़ें लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में काफी गहरी तक धंसी हुई है।
समस्या इतनी विकराल है कि लोहरदगा और आसपास के क्षेत्रों में मानव तस्करी को लेकर टीवी सीरियल तक बन चुका है। इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस बड़े मुद्दे की ओर नहीं गया है। किसी ने भी मानव तस्करी के पीछे की वजह को तलाशने की कोशिश नहीं की है। लोहरदगा जिला से लेकर गुमला और सिमडेगा के साथ-साथ सिसई, मांडर आदि क्षेत्रों में भी मानव तस्करी काफी हद तक हावी है।
रोजगार का लालच देकर छोटे-छोटे बच्चों से लेकर महिलाओं तक को दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच देने के मामले हमेशा से यहां के समाज के लिए चिंता का कारण रहे हैं। कुछ मामले थाने पहुंचते हैं, तो कुछ मामले गुमनामी में दब कर रह जाते हैं। मानव तस्करी रोकने के लिए बाकायदा सदर थाना परिसर में एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट स्थापित की गई है। बावजूद इसके इस समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
किसी भी चुनाव में यह कभी मुद्दा नहीं बन पाता है। राष्ट्रीय दलों से लेकर क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने चुनावी घोषणा पत्र के माध्यम से इसे प्रकाश में लाने की कोशिश करते नजर नहीं आते हैं। मानव तस्करी को लेकर कई परिवार बिखर चुके हैं, कई लोगों का आता-पता तक नहीं है। फिर भी इस ओर ना तो किसी का ध्यान है और ना ही किसी ने इस समस्या का हल निकालने की कोशिश की है।
लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले भोले-भाले ग्रामीणों को लालच देकर उनके बच्चों को प्रदेश में ले जाकर बेच देने वाले दलाल जनप्रतिनिधियों की इसी उदासीनता का लाभ उठा रहे हैं। भंडरा, पेशरार, सेन्हा, किस्को आदि क्षेत्रों में तो यह और भी हावी हो चुका है। चुनावी मुद्दा बनाकर इस समस्या का हल करने की कोशिश नहीं होना इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को साफ दर्शाता है।