Lok Sabha Polls 2019: मनरेगा से दूर दतवन-पत्ता बेचकर अपना गुजारा करते हैं यहां के लोग
Lok Sabha Polls 2019. लोहरदगा जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करने वाली आदिम जनजाति आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है।
लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। लोहरदगा जिला पहाड़ और जंगल से घिरा हुआ है। आज भी यहां की बड़ी आबादी जंगल और पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती है। यहां रहने वाले आदिम जनजाति, आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है। मनरेगा सहित अन्य योजनाएं इनका पेट भरने में नकारा साबित हो रही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो इन लोगों के लिए रोजगार की कमी एक बड़ा मुद्दा है। बावजूद इसके चुनावी घोषणा पत्रों में इन्हें कभी भी स्थान नहीं मिल पाता है। लोहरदगा जिले में आदिम जनजाति और आदिवासी बहुल इलाकों में रोजगार की कमी को दूर करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल ने सार्थक प्रयास नहीं किया है।
जंगलों में रहने वाले असुर, नगेशिया, बिरहोर सहित अन्य समुदाय के लोग आज भी दतवन, पत्ता, पत्तल, झाड़ू, जलावन की लकड़ी आदि बेच कर अपना गुजारा करते हैं।
इनकी दशा देख कर समझा जा सकता है कि बरसात के दिनों में इनके पास रोजगार की क्या स्थिति रहती होगी। बरसात में जंगलों में जा पाना मुश्किल होता है। सूखी लकड़ी नहीं मिलती। दतवन-पत्ता तोडऩा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे समय में उनके पास रोजगार के नाम पर कुछ भी नहीं होता। दो वक्त की रोटी इनके लिए मुसीबत बन जाती है।
पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले इन लोगों के पास रोजगार के नाम पर बस आश्वासन और वादे ही हैं। इनके द्वारा बनाए गए दोना-पत्तल सहित अन्य वस्तुओं को एक बाजार उपलब्ध कराकर इनकी दशा में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए बेहतर बाजार और बेहतर मूल्य को प्राथमिकता देना जरूरी है।