आदिवासियों के अंतिम संस्कार स्थल में ईसाई महिला को दफनाने पर विवाद
dispute in Lohardaga. झारखंड के लोहरदगा में आदिवासी अंतिम संस्कार स्थल में शव दफनाए जाने को लेकर विवाद हो गया।
संवाद सहयोगी, लोहरदगा। शहरी क्षेत्र के कचहरी मोड़ में आदिवासियों के अंतिम संस्कार स्थल में ईसाई धर्म को मानने वाले महिला का शव दफनाए जाने को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। आदिवासी समुदाय के लोग सैकड़ों की संख्या में जमा हो गए। सभी महिला के शव को कब्र से निकालकर ईसाई समुदाय के अंतिम संस्कार स्थल (कब्रिस्तान) में ले जाने की मांग कर रहे थे। इस बात को लेकर दोनों समुदाय के लोगों के बीच विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो गई। धक्का-मुक्की भी हुई थी।
बाद में मामले की जानकारी मिलने पर एसडीपीओ जितेंद्र कुमार सिंह, सदर अंचल अधिकारी प्रमेश कुशवाहा, लोहरदगा थाना प्रभारी सह पुलिस निरीक्षक जय प्रकाश राणा दल-बल के साथ पहुंच गए। दोनों ओर से विरोध की स्थिति को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने दोनों पक्षों से बात करने की कोशिश की। आदिवासी समुदाय के लोग अपनी मांग पर अड़े हुए थे। बताया जा रहा है कि सदर थाना क्षेत्र के नदिया करचा टोली निवासी स्वर्गीय संजय उरांव की पत्नी रजंती उरांव (39) ने हाल में ही कथित तौर पर ईसाई धर्म को मानना शुरू कर दिया था। संजय उरांव की छह साल पहले मौत हो चुकी है।
विगत दिनों रजंती उरांव घर में सीढ़ियों से गिर गई थी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इसी दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों ने चुपचाप रजंती को लाकर कचहरी मोड़ स्थित आदिवासियों के अंतिम संस्कार स्थल में दफना दिया। इस बात की जानकारी जब आदिवासी समुदाय के लोगों को हुई तो वह भड़क गए। आदिवासी समुदाय के लोगों ने फरमान सुनाया कि वे किसी भी हाल में रजंती के शव को आदिवासियों के अंतिम संस्कार स्थल में दफनाने नहीं देंगे। पूरी पंचायत में कहीं भी उसे जगह नहीं दी जाएगी, जबकि रजंती के परिजनों का कहना था कि रजंती ने धर्म परिवर्तन नहीं किया। रजंती सिर्फ कुछ दिन चर्च गई थी। वह भी उसने जाना बंद कर दिया था। शव के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। इस बात को मानने को लेकर आदिवासी समुदाय के लोग तैयार नहीं थे।
बाद में पुलिस प्रशासन के समझाने के बाद भी आदिवासी समुदाय के लोग अपनी मांगों पर अड़े रहे। तब जाकर पुलिस प्रशासन ने ईसाई समुदाय के लोगों से बात करते हुए शव को ईसाई समुदाय के चिन्हित स्थान में ले जाकर दफनाने की प्रक्रिया को शुरू किया है। अभी स्थल तय नहीं हो पाया है। हालांकि एक शव के साथ इस प्रकार के व्यवहार को लेकर लोग निंदा भी कर रहे थे। जमा भीड़ का कहना था कि एक शव के साथ इस प्रकार का व्यवहार नहीं होना चाहिए।