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वज्रपात से मौतः जिंदा होने के लिए ग्रामीणों ने गोबर में गाड़ दिए शव

ग्रामीणों का कहना है कि वे शवों को इसी प्रकार से गोबर में गाड़कर रखेंगे। शायद जिंदगी जो जाएं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 09 Jun 2017 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jun 2017 03:29 PM (IST)
वज्रपात से मौतः जिंदा होने के लिए ग्रामीणों ने गोबर में गाड़ दिए शव
वज्रपात से मौतः जिंदा होने के लिए ग्रामीणों ने गोबर में गाड़ दिए शव

लोहरदगा, जेएनएन। लोहरदगा में वज्रपात की चपेट में आने से मरने वाले लोगों के परिजन उनके शवों को गोबर से ढंक कर जिंदा होने का इंतजार कर रहे हैं।

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कैरो थाना पुलिस ने गाराडीह गांव पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रही है। मगर अब तक ग्रामीण नहीं माने हैं, वह अंधविश्वास के चलते शवों को गोबर में दबाए हुए हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से वह फिर से जिंदा हो सकते हैं।

वज्रपात से झारखंड में गुरुवार को छह लोगों की मौत हो गई। लोहरदगा में सर्वाधिक तीन लोगों की जान गई है। कैरो थाना क्षेत्र के गाराडीह गांव के ग्रामीण तीनों शवों को गांव में ही गोबर में गाड़कर मृतकों के जिंदा होने का इंतजार कर रहे हैं।

कैरो थाना के अवर निरीक्षक रतिया उरांव और दूसरे लोगों ने परिजनों व ग्रामीणों को समझाने का काफी प्रयास किया, परंतु ग्रामीण अपनी बात पर अड़े हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे शवों को इसी प्रकार से गोबर में गाड़कर रखेंगे। शायद जिंदगी लौट आए।

मृतकों में गाराडीह निवासी पारा शिक्षक परमेश्वर मुंडा (32), मंगरा मुंडा (40) और बप्पन मुंडा (15) शामिल हैं। 

गोबर में गाड़ने से कोई फायदा नहीं : डा. राकेश

कैरो उप स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डा. राकेश कुमार का कहना है कि वज्रपात से प्रभावित लोगों को तुरंत चिकित्सकीय इलाज की जरूरत होती है।

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