जागरूकता से ही रूकेगा एड्स रोग : डॉ. गणेश
लोहरदगा में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, लोहरदगा : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में सोमवार को एमएलए महिला कॉलेज में एड्स पर सेमिनार का आयोजन हुआ। मौके पर मुख्य वक्ता आइएमए चेयरमैन डॉ. गणेश प्रसाद ने कहा कि 21वीं सदी में स्वास्थ्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में एड्स शीर्ष पर है। पश्चिमी देशों से आई इस बीमारी की चपेट में भारत सहित दुनियां के तमाम देश आज चुके हैं। एचआईवी से संबंधित मामलों को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में प्रयासों में भारत ने हाल के समय में आंशिक सफलता पाई है। भारत को पूरी तरह एड्स मुक्त होने में काफी समय लगेगा। इस देश में 15 से 49 वर्ष की आयु के बीच के करीब 30 लाख लोग एचआईवी पीड़ित हैं। हालांकि जागरूकता के कारण एड्स का प्रसार कम हुआ है, परंतु खतरा नहीं टला। पूरा विश्व इस महामारी को मिटाने की दिशा में प्रयत्नशील है। भारत की 99 फीसदी आबादी अभी एड्स मुक्त है। लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। असुरक्षित यौन संबंध और एचआईवी पॉजिटिव रक्त से संक्रमण से बचकर ही एड्स को दूर रखा जा सकता है। भारत में एचआईवी का पहला मामला 1986 में आया। सरकार राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम चलाकर लोगों को जागरूक कर रही है। एड्स पीड़ित से भेदभाव या नफरत नहीं करना चाहिए। हर जिले में एचआईवी ग्रसित लोगों के लिए परामर्श केंद्र हैं जहां उन्हें हर सुविधा निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। एमएलए महिला कालेज के प्रिसिपल प्रो स्नेह कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित जीवन शैली हमें एड्स जैसी बीमारी से बचा सकती है। रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव अरूण राम ने कहा कि लोहरदगा जैसी छोटी सी जगह में भी 60 एचआईवी पीड़ित हैं। इनमें आधा दर्जन बच्चे हैं जिन्हें एचआईवी पीड़ित गर्भवती माता से संक्रमण हुआ है। इस तरह जन्म लेने वाले बच्चों का जीवन भी संकट पर हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ की कई इकाइयां, रेडक्रॉस, आईएमए, सहित कई संगठन एड्स पर नियंत्रण की दिशा में बेहतर कार्य कर रहे हैं। इसे आम नागरिकों से सहयोग मिलना चाहिए। मौके पर कालेज के कई शिक्षक और छात्राएं मौजूद थीं।