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आर्थिक रूप से फायदे वाले फसलों की खेती करें किसान : डीसी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय बीपीडी-बीएयू सोसाईटी द्वारा गुरुवार को डीसी कार्यालय स्थित सभागार में अमृत कृषि टिकाऊ खेती खाद्य एवं पोषण सुरक्षा विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर मुख्य अतिथि उपायुक्त आकांक्षा रंजन द्वारा किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 10:23 PM (IST)
आर्थिक रूप से फायदे वाले फसलों की खेती करें किसान : डीसी
आर्थिक रूप से फायदे वाले फसलों की खेती करें किसान : डीसी

लोहरदगा : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, बीपीडी-बीएयू सोसाईटी द्वारा गुरुवार को डीसी कार्यालय स्थित सभागार में अमृत कृषि, टिकाऊ खेती, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर मुख्य अतिथि उपायुक्त आकांक्षा रंजन द्वारा किया गया। मौके पर वैज्ञानिक व बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के संकायाध्यक्ष डॉ. बीके झा, बीपीडी-बीएयू सोसाईटी के सचिव सिद्धार्थ जायसवाल सहित जिले के विभिन्न विभागों के पदाधिकारी मौजूद थे। मौके पर उपायुक्त ने कहा कि अमृत कृषि की विधि को सभी अच्छी तरह समझ लें और जैविक खेती की इस पद्धति को अपनाएं। इस मॉडल को सभी चुने हुए जगहों में तैयार किया जाएगा। उपज की गुणवत्ता बढ़ाने में यह सहायक पद्धति सभी के स्वास्थ्य के लिए हितकर सिद्ध होगा। किसान आर्थिक रूप से फायदे वाले फसलों की खेती करें। किसानों की समस्या के समाधान को लेकर कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जैविक खेती से काफी फायदा है। इससे फसलों की रक्षा तो होती ही है, साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है। कार्यशाला में जिला कृषि पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी रतन महावर, अग्रणी बैंक महाप्रबंधक रविकांत सिन्हा, जिला कल्याण पदाधिकारी मधुमती कुमारी, जिला उद्यान पदाधिकारी एम्लेन पूर्ति, सहायक कृषि पदाधिकारी समेत विभिन्न प्रखंडों से आए हुए प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बीटीएम, एटीएम, कस्तुरबा गांधी बालिका उच्च विद्यालय, एकलव्य विद्यालय कुजरा, अनुसूचित जनजाति विद्यालय आदि की छात्र-छात्राएं मौजूद थी। दस स्थानों में होगा योजना का कार्यान्वयन : डीपीओ

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: कार्यशाला में अमृत कृषि योजना के बारे जिला योजना पदाधिकारी महेश भगत द्वारा जानकारी दी गई। जिसमें डीपीओ ने कहा कि अमृत कृषि योजना का कार्यान्वयन लोहरदगा जिले में 10 स्थानों पर किया जाएगा। इसमें सभी कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय, अनुसूचित जनजाति विद्यालयों व किस्को स्थित कृषि विज्ञान केंद्र शामिल हैं। इन स्थानों में कृषि के इस विधि को अपनाकर कृषि कार्य किया जाएगा। इस तकनीक को सीखने का उद्देश्य जैविक कृषि को बढ़ावा देना है। जिससे रसायनिक कृषि के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। विद्यालयों का चुनाव इस लिए किया गया है ताकि इस तकनीक को सीख बच्चे अपने अभिभावकों को भी इसकी जानकारी दे सकें। कई वर्षों तक बिना खाद दिए होगी खेती : सिद्धार्थ

: बीपीडी-बीएयू सोसाइटी रांची के सचिव सिद्धार्थ जायसवाल ने कार्यशाला में अमृत कृषि के अंतर्गत अमृत जल व अमृत मिट्टी तैयार करने की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया अमृत कृषि का मुख्य फायदा यह है कि इस विधि से उगाए जाने वाले फसल व कृषि उत्पादन में रसायनिक उत्पादन विधि के मुकाबले कई गुणा पोषक तत्व अधिक पाए जाते हैं। एक बार जब अमृत मिट्टी तैयार कर ली जाती है तो अगले 15-20 वर्षों तक उस मिट्टी में खाद या किसी अन्य प्रकार के उर्वरक की जरूरत नहीं पड़ती। पहली फसल से ही उत्पादन बढ़ जाता है। अमृत मिट्टी तैयार करने में खर-पतवार, सूखे पत्ते, गोबर, गोमूत्र आदि का इस्तेमाल किया जाता है। किसानों के लिए यह फसल काफी फायदे वाली है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी हद तक सुधार होगा।


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