यहां नाले के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं लोग
बुनियादी सुविधाएं तो दूर पीने का शुद्ध पानी तक यहां के लोगों को मयस्सर नहीं है। नाले के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं, यहां के लोग।
रमेश पांडेय, बालूमाथ (लातेहार)। आजादी के 70 साल बाद देश में तरक्की की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, मगर दुधमटिया टोला के लिए यह सब बेमानी है। लातेहार के नक्सल प्रभावित हेरहंज प्रखंड के कटांग गांव का यह टोला है। दस घरों वाले इस टोला में अनुसूचित जाति के करीब 50 लोग रहते हैं। सड़क, बिजली, शिक्षा, बालविकास, जनवितरण और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं तो दूर पीने का शुद्ध पानी तक इस टोला के लोगों को मयस्सर नहीं है। टोले में न कोई कुआं है न कोई चापाकल। नाले के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं, यहां के लोग। गांव की बरती देवी कहती हैं कि नाले के चुआंड़ी से भी पानी लाने के लिए आधा किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। ग्रामीण हों या जानवर सब इसी नाले से अपनी प्यास बुझाते हैं।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव :
नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से वैसे तो कई इलाके विकास से दूर हैं, लेकिन अब जब नक्सलियों का लगभग खात्मा होने के कगार पर है, फिर भी यहां विकास की किरण नहीं पहुंची है। ग्रामीण अहनु गंझू बताते हैं कि यहां पर चापाकल लगवाने और कुआं निर्माण कराने को लेकर कई बार पंचायत के मुखिया और प्रखंड प्रशासन के पास गुहार लगाई गई। मगर न तो मुखिया न ही प्रशासनिक अधिकारी ने इसे लेकर कोई सुध ली। स्थिति ऐसी हो गई है कि पीने के पानी के लिए भी भटकना पड़ रहा है। सड़क, बिजली, शिक्षा, बालविकास केंद्र, जनवितरण दुकान और स्वास्थ्य सुविधा तो दूर की बात है। दुधमटिया टोला के लोग बताते हैं कि उन्हें चुआंड़ी के जरिए ही सालों भर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। ग्रामीण अनिल कुमार कहते हैं कि पढ़ाई के लिए गांव के बच्चे आठ किमी चलकर हेरहंज जाते हैं। बेटियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है।
दुधमटिया टोले की महिलाएं सिर पर पानी के बर्तन व गोद में बच्चे लेकर अपने घर को जाती हुईं।
स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल
ग्रामीण अहनु गंझू कहते हैं की बीमार होने पर पहले झाड़ फूंक का सहारा लेते हैं। इसके बाद भी अगर मरीज ठीक नहीं हुआ तो इलाज के खटिया पर लादकर पैदल आठ किमी चलकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हेरहंज जाते हैं। आसपास चिकित्सा की और कोई सुविधा नहीं है। दस घरों वाले इस टोला में 50 सदस्य हैं। सब की वही हालत। रोटी का सहारा, खेती और मजदूरी है। बीते वर्ष योजना बनाओ अभियान के तहत गांव में चापाकल लगाने की बात हुई थी मगर हुआ कुछ नहीं। सिर्फ योजना बनाओ के तहत कागजी खानापूर्ति की गई।
ग्राम स्वराज योजना से उम्मीदें :
अब ग्राम स्वराज अभियान के तहत हेरहंज प्रखंड में विकास की लकीर खीचने की तैयारी की जा रही है। दुधमटिया टोले के लोग उम्मीद लगाए हैं कि उनके हिस्से में कुछ आता है या नहीं।
जिले के सभी गांव की बदहाली दूर करने के लिए जिला प्रशासन संकल्पित है। इस गांव के बारे में जानकारी लेकर वहां सुविधा बहाल करने के लिए पदाधिकारियों को तत्काल निर्देश जारी किया जाएगा।
- राजीव कुमार, उपायुक्त, लातेहार।