यहां कैंसर पीड़ित डॉक्टर कर रही मरीजों की सेवा, कहा-हम दर्द से नहीं डरते
मरीजों की मर्ज भगाने में जुटीं डॉक्टर धर्मशीला चौधरी को देखकर शायद ही आप अंदाजा लगा पाएं कि वह खुद भी कैंसर की मरीज हैं।
रूपेश कुमार, लातेहार। बीमारी और डॉक्टर की दुश्मनी पुरानी है। ऐसे में लातेहार सदर अस्पताल में तैनात डॉक्टर धर्मशीला चौधरी को कैंसर ने अपनी चपेट में लिया तो वह कहां हार मानने वाली थीं। बीमारी से परेशान और चिंतित होने की बजाय उन्होंने हिम्मत को जगाने और निरंतर पहले की तरह मरीजों की सेवा का अपना फर्ज पूरा करते रहने की ठानी। इस संकल्प के आगे कैंसर को हार माननी ही थी। ऐसे में उसने इस दिलेर डॉक्टर के साथ दोस्ती कर लेने में ही भलाई समझी।
दिन-रात मरीजों की मर्ज भगाने में जुटीं डॉक्टर धर्मशीला चौधरी को देखकर शायद ही आप अंदाजा लगा पाएं कि वह खुद भी कैंसर की मरीज हैं। तभी तो वह मरीजों की ताकत भी हैं और बीमारियों से निराश हो रहे मरीजों की उम्मीद भी। अपना दर्द भुलाकर सेवा कार्य में जुटीं धर्मशीला बीमारी से परेशान होने वाले मरीजों को अपना उदाहरण देकर बीमारियों से जूझने की हिम्मत भी देती हैं। मरीजों और डॉक्टरों के बीच वह जिंदादिली की मिसाल बनी हैं। डॉक्टर धर्मशीला बताती हैं कि उन्होंने बीमारी के डर को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
वह कहती हैं कि कैंसर लाइलाज नहीं है, इसलिए जो इसकी चपेट में आ भी गए हैं वह बिना डरे-घबराए इसका सामना करें और इलाज कराएं। ईश्वर की कृपा में विश्वास रखने वाली डॉक्टर धर्मशीला बताती हैं कि मन को मजबूत बनाकर, अपने अंदर की ताकत को जगाकर और खुद तथा ईश्वर पर भरोसा रखकर बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है। इच्छाशक्ति और जीने की जिजीविषा को मजबूत बनाएंगे तो बीमारियों पर भी विजय पा सकते हैं। मरीजों के लिए भी उनका संदेश यही है कि इलाज भी कराते रहें और अपना काम भी करते रहें। कभी भी दर्द और बीमारी को चिंता की वजह न बनने दें। अपने बारे में वह बताती हैं कि दो साल पहले मुंबई में इलाज के दौरान जब उन्हें पता चला कि उनकी रीढ़ की हड्डी में कैंसर हो गया है तो वह पल भर के लिए विचलित हुईं, लेकिन अपने सेवा धर्म का ख्याल आते ही संभलीं। फिर क्या था। बीमारी अपनी जगह और मरीजों की सेवा का काम भी पहले की ही तरह बिना किसी रुकावट के जारी रहा।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. धर्मशीला सदर अस्पताल लातेहार में तीन साल से तैनात हैं। हर तीन महीने में एक बार उन्हें अपनी कीमोथेरेपी कराने दिल्ली जाना पड़ता है, लेकिन वहां से लौटने के बाद फिर पहले की तरह अपनी ड्यूटी में लग जाती हैं। डॉ. धर्मशीला की पहचान समर्पित भाव से अपनी ड्यूटी करनेवाली और समय की पाबंद रहनेवाली चिकित्सक के रूप में भी है। वह हमेशा मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं और अक्सर रात में भी सिजेरियन व अन्य ऑपरेशनों की इमरजेंसी कॉल पर अस्पताल में हाजिर रहती हैं। तत्कालीन स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के विद्यासागर ने सदर अस्पताल के कुछ माह पूर्व निरीक्षण के दौरान डॉ. धर्मशीला चौधरी के सेवा कार्य की तारीफ भी की थी।
औरों का गम देखा तो मैं अपना गम भूल गई
मैं अपने आप को भाग्यवान समझती हूं कि मुझे मरीजों को सेवा करने का मौका मिला है। आज मैं मरीजों की दुआओं की बदौलत ही जिंदा हूं। उन्हें देखकर बीमारी से लड़ने की और सेवा कार्य में जुटे रहने की हिम्मत मिलती है। कह सकते हैं कि - औरों का गम देखा तो मैं अपना गम भूल गई।
-डॉ. धर्मशीला चौधरी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल, लातेहार।
पेश की मिसाल
डॉ. धर्मशीला चौधरी कैंसर पीड़ित रहने के बावजूद मरीजों की सेवा कर मिसाल पेश कर रहीं हैं। उनका हौसला और जज्बा सलाम करने लायक हैं। ऐसे चिकित्सक से दूसरे चिकित्सकों को भी सीख लेने की जरूरत है।
-डॉ. अक्षय कुमार सिंह, सिविल सर्जन लातेहार।
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