पांच माह में एक बाघिन, एक हथिनी व तीन बाइसन की मौत
उत्कर्ष पाण्डेय लातेहार पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र अंतर्गत बेतला नेशनल पार्क में लगातार जंगल
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र अंतर्गत बेतला नेशनल पार्क में लगातार जंगली जानवरों की मौत से वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगने लगा है। जानवरों की सुरक्षा के लिए एक ओर जहां हर साल लाखों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर जानवरों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। बीते पांच माह के दौरान पांच जानवरों की मौत हो चुकी है साथ ही पार्क के अंदर जानवरों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है। बाघिन की मौत से भी नहीं लिया सबक पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र के बेतला नेशनल पार्क में 16 फरवरी 2020 को बाघिन की मौत हो गई। बाघिन की मौत के बाद वन विभाग के आलाधिकारियों से लेकर कई विशेषज्ञों तक ने बेतला पार्क का दौरा किया। सभी ने जंगली जानवरों की सुरक्षा पर चिता जाहिर करते हुए जानवरों की मूवमेंट की जानकारी रखने का निर्देश दिया था। लेकिन अधिकारियों के जाते ही विभाग अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया। नतीजा बाघिन की मौत के बाद से लेकर अब तक तीन बाइसन और एक हथिनी की भी जान चली गई। अब फिर से विभाग परंपरागत तरीके से पोस्टमार्टम रिर्पोट आने के बाद मौत के कारणों का पता चलने की बात कह रहा है। वन कर्मियों की लापरवाही उजागर पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र के जानवरों की सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा सभी क्षेत्रों में ट्रेकर गार्ड, वन गश्ती आदि टीमों को लगाया गया है उसके बाद भी इन जानवरों की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रतिदिन वन कर्मियों की टीम भ्रमण करती रहती है लेकिन इस हथिनी के शव देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी मौत मंगलवार की सुबह नहीं और पहले हुई होगी। इसका सबसे बड़ा कारण है शव से दुर्गध आ रही थी। दूसरी ओर वन कर्मी कुछ और ही कहानी सभी को सुनाते रहे। पांच माह में कब-कब कौन से जानवर की हुई मौत : बाघिन मृत्यु 16 फरवरी 2020। बाइसन मृत्यु 29 अप्रैल 2020। बाइसन मृत्यु 04 मई 2020। बाइसन मृत्यु 17 मई 2020। हथिनी मृत्यु 14 जुलाई 2020। जिप अध्यक्ष व जिप सदस्य ने उठाए सवाल : हथिनी की मौत की खबर सुनते ही लातेहार जिला परिषद अध्यक्ष सुनीता कुमारी, पश्चिमी बरवाडीह जिला परिषद सदस्य नजीमा परवीन घटनास्थल पर पहुंचकर डीएफओ कुमार आशीष से हथिनी की मौत के बारे में जानकारी ली। नजीमा परवीन ने पत्रकारों से कहा कि वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण हथिनी की मौत हुई है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सुबह हथिनी की मौत हुई तो शव के पास से दुर्गंध कैसे आ रहा है? जिप सदस्यों ने पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देकर आरोपितों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग करने की बात कही। कोट :: हथिनी के सिर पर एक जख्म है, जिसमें किड़ा लगा हुआ है। बहुत पुरना जख्म प्रतीत होता है। किसी पेड़ से चोट लगने के कारण जख्म हो गया होगा। हथिनी की उम्र 16 वर्ष के करीब लग रही है। पदचिन्हों को देखने से लगता है साथ में हथिनी की बच्चा भी होगा। लेकिन वह झुंड में साथ चला गया होगा। आसपास के क्षेत्र में ट्रेकर गार्ड जांच कर रहे हैं, पोस्टमार्टम रिर्पोट आने के बाद मौत के कारणों का स्पष्ट पता चल सकेगा।
कुमार अशीष, डीएओ।