हादसों ने संवारा, जज्बे ने निखारकर बनाया दारोगा; नक्सलियों को सिखाएगा सबक
राहुल की सफलता जुल्म व आतंक की आग में तपकर निखरने की कहानी है, जिससे कोई भी प्रेरणा ले सकता है।
लातेहार, रमेश पांडेय। मुझे हादसों ने सजा सजा के कितना हसीन बना दिया..। शायर बशीर बद्र का यह शेर हाल ही में दारोगा पद पर चयनित लातेहार के बालूमाथ प्रखंड के मुरपा गांव निवासी राहुल कुमार राम की कहानी काफी हद तक बयां करता है। राहुल की सफलता जुल्म व आतंक की आग में तपकर निखरने की कहानी है, जिससे कोई भी प्रेरणा ले सकता है।
दशकों से जुल्म व दहशत की आग में पिसते परिवार व समाज से कोई सशक्त और सक्षम बनकर उभरे तो यह खबर उस परिवार और समाज के लिए कितनी सुखद और गर्वानुभूति से भरी होगी, यह बताने की जरूरत नहीं। राहुल कुमार राम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। राहुल के दादा और चाचा को 20 साल पहले जहां नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर मार डाला था, वहीं कुछ साल बाद राहुल के भाई की भी हत्या कर दी। अब उसी परिवार में नक्सलियों से मोर्चा लेनेवाला दारोगा तैयार हुआ है।
राहुल ने दशकों तक नक्सली आतंक की दुश्वारियां झेली हैं। दो दशकों में नक्सलियों के खूनी खेल में राहुल ने अपने परिवार के तीन सदस्य खोए हैं। लेकिन वक्त ने अब उसके हाथों में अब नक्सलियों और अपराधियों से लड़ने के लिए हथियार थमा दिया है।
सिर चढ़कर बोलता था नक्सलियों का आतंक
लातेहार जिले के अधिकतर इलाकों में कुछ साल पहले तक नक्सलियों का आतंक सिर चढ़ कर बोलता था। राहुल का गांव मुरपा भी नक्सलियों का गढ़ था। नक्सली यहां समानांतर सत्ता चलाते थे और ग्रामीणों की हैसियत उनके सामने कुछ नहीं थी। जिस किसी ने कभी दबी जुबान में या चोरी छिपे भी नक्सलियों की मर्जी के खिलाफ कोई काम या बात की तो उसे जन अदालत लगा कर मौत के घाट उतार दिया जाता था। सैंकड़ों परिवार नक्सलियों के खूनी खेल और आतंक के शिकार हुए हैं। राहुल के परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ था।
बीच में ही छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
राहुल ने बताया कि बहुत मुश्किल वक्त था। गरीबी के कारण उसे पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी थी। राहुल को लग रहा था कि अब वह कुछ नहीं कर पाएगा। ऐसे में राजकीय उच्च विद्यालय के शिक्षक निर्मल सिन्हा ने हिम्मत दी और एक कोचिंग में पढ़ने की व्यवस्था कर दी, तब जाकर जीवन को एक रास्ता मिला। निर्मल सिन्हा ने कहा कि राहुल से कोई भी संघर्षशील युवक इस बात के लिए प्रेरणा ले सकता है कि हालात कितने भी कठिन हों मेहनत और संकल्प से उसे आसान बनाया जा सकता है।
नक्सलियों को सिखाएगा सबक
राहुल का कहना है कि पुलिस अधिकारी बन कर उग्रवादियों और अपराधियों को सही रास्ते पर लाना चाहता है। जो लोग रास्ते पर नहीं आएं उन्हें वह सजा भी दिलाना चाहता है ताकि उसके जैसी परिस्थिति से किसी को नहीं गुजरना पड़े। दारोगा बनकर वह अपनी मंजिल के काफी करीब पहुंच गया है।