न मिली पेंशन और न ही आवास, भीख से भर रहा पेट
दीपक भगत चंदवा (लातेहार) न मिली पेंशन और न आवास। रात तो कहीं कट जाती है लेकिन पेट
दीपक भगत, चंदवा (लातेहार) : न मिली पेंशन और न आवास। रात तो कहीं कट जाती है लेकिन पेट की भूख को शांत करने के लिए भिक्षाटन ही सहारा है। यह कहानी है जीर्ण-शीर्ण और कमजोर शरीर के साथ दोनों हाथों में लाठी लिए झोला लेकर भिक्षाटन को निकले नवाटोली (माल्हन) निवासी सरधन गंझू की। जब वह युवा था, शरीर में काम करने की क्षमता थी तब मजदूरी और कृषि कार्य कर गुजारा कर लेता था लेकिन शरीर के कमजोर हो जाने और सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने के कारण जीविकोपार्जन के लिए भिक्षाटन ही सहारा है। ऐसे में गरीब, वृद्ध, असहाय समेत अन्य चिन्हित लोगों तक पेंशन समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकार और प्रशासन की योजनाएं चिढ़ाती नजर आती है। नवाटोली (माल्हन) निवासी सरधन गंझू को भीख मांगता देख दैनिक जागरण प्रतिनिधि ने उसकी सहायता करते नाम, पता की जानकारी ली। बताया कि उसका कोई सहारा नहीं है। एक बेटी थी जिसकी शादी काफी वर्ष पहले हो चुकी है। लगभग तीन साल पूर्व पत्नी की मौत हो गई। शरीर से लाचार होने और काम नहीं कर पाने की स्थिति में भिक्षा मांगकर जीविकोपार्जन कर रहा है। टूटे-फूटे घर में रहकर वह गुजर-बसर करता है। उसकी मानें तो कई बार वह मुख्यालय का चक्कर लगा चुका है। बावजूद उसकी सुनने वाला कोई नहीं।
गोतिया सिर्फ उसकी संपत्ति का कर रहे उपयोग: शारीरिक रूप से कमजोर सरधन की मानें तो गोतिया उनकी संपति का उपयोग कर रहे हैं लेकिन उसके लिए भोजन का प्रबंध नहीं करते। ऐसे में वह अपने को असहज महसूस करता है। बताता है कि पूर्वजों द्वारा प्राप्त भूमि (खेत-बारी) का उपयोग उसके गोतिया कर रहे हैं लेकिन एक वक्त का भोजन देने में भी उनके पसीने छूटने लगते हैं।
क्या कहते हैं बीडीओ: बीडीओ अरविन्द कुमार ने इस बताया कि प्रशासन अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयासरत हैं। कई माध्यम कार्य कर रहे हैं बावजूद यदि कोई उन लाभों से वंचित है तो उसकी सूचना उन तक प्रेषित करें। योजनाओं का हरसंभव लाभ दिलाने की कोशिश की जाएगी। सरधन के बारे में कहा कि मीडिया से जानकारी मिलने के साथ ही उसे लाभ पहुंचाने की योजना के तहत प्रयास शुरू कर दिया गया है।