जेल से मुक्ति आदेश के 10 दिनों बाद छूटा बंदी, दो दिन पैदल चलकर पहुंचा घर
जागरण संवाददाता लातेहार लातेहार मंडलकारा में बंद परमेश्वर उरांव मुक्ति आदेश के 10 दिन बाद पहुंचा।
जागरण संवाददाता, लातेहार : लातेहार मंडलकारा में बंद परमेश्वर उरांव मुक्ति आदेश के 10 दिन बाद दो दिनों तक पैदल चलकर अपने घर पहुंचा है। जेल से छूटने के बाद परमेश्वर ने जो आपबीती सुनाई वह रोंगटे खड़ा कर देने से कम नहीं है। बताया कि रविवार की सुबह नौ बजे जेपी कारा हजारीबाग से उसे मुक्त कर दिया गया। वह जेल प्रबंधन से गिड़गिड़ाते रहा कि उसके पास एक रुपए भी नहीं है, गाड़ी भी नहीं चल रही और उसका घर करीब 70-80 किलोमीटर दूर है। उसे इस तरह नहीं छोड़ा जाए लेकिन, जेल प्रबंधन ने एक नहीं सुनी और उसे गेट से बाहर कर दिया।
आप बीती बताकर रो पड़ा परमेश्वर : परमेश्वर ने बताया कि जेल गेट के आसपास कई लोगों से वह अपनी फरियाद सुनाई। लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की उसे न तो घर का फोन नंबर याद था और न किसी रिश्तेदार का। देर शाम तक वह हजारीबाग में भटकता रहा वह भोजन के लिए गिड़गिड़ाते रहा और रात में भूखे एक यात्री शेड में सो गया। सोमवार की सुबह वह अपनी घर ग्राम कुट्टी रंगिया, जबड़ा के लिए पैदल ही चल पड़ा। रास्ते में वह भिक्षाटन कर लोगों से मांग- मांग कर खाते रहा। लगभग 70 - 80 किलोमीटर पैदल चलकर वह मंगलवार की दोपहर अपना घर पहुंचा। बंदी के अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि उसे बालूमाथ थाना कांड संख्या 160/ 2019 में गत 25 फरवरी को मंडल कारा भेजा गया था। उसकी जमानत की याचिका झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत हुई तथा गत नौ जुलाई को उसका बंधपत्र लातेहार अदालत में स्वीकृत किया गया और मुक्ति आदेश जारी किया गया।
मालूम हो लातेहार जेल प्रबंधन की अव्यवस्था के कारण 10 दिनों के बाद मुक्ति आदेश हजारीबाग जेल पहुंचा और उस बंदी को घर तक लाने की जवाबदेही लातेहार कारा प्रबंधन अपने ऊपर नहीं लिया और उसे हजारीबाग जेल के बाहर छोड़ दिया गया। गौरतलब है कि लातेहार जेल से राज्य के अन्य जेलों में करीब दो सौ बंदियों को स्थानांतरित किया गया है और उन्हें मुक्ति के उपरांत घर तक नहीं भेजा जा रहा है। वाहन नहीं चलने की वजह से मुक्ति आदेश के 15 दिन बाद भी बंदी अपने घर तक आ रहे हैं।