अंतिम सोमवारी पर शिवालयों में उमड़ा जनसैलाब
लातेहार सावन की अंतिम सोमवारी के दिन जिले में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। पूरे दिन जिले भर
लातेहार : सावन की अंतिम सोमवारी के दिन जिले में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। पूरे दिन जिले भर के तमाम शिवालय व मंदिर हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठे। हजारों की तादाद में भक्तों ने भगवान शिव को जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की। जलाभिषेक करने वालों में महिलाओं की तादाद ज्यादा रही। सैकड़ों बच्चों ने भी उत्साह पूर्वक भगवान को जलाभिषेक किया। जिले के मां उग्रतारा नगर मंदिर में स्थित प्रसिद्ध शिवालय समेत सभी मंदिरों में सुबह से लेकर दोपहर तक भक्तों की ठसाठस भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने गंगा जल, दूध, मिष्ठान, बेलपत्र, फल, फूल, चंदन आदि पदार्थों से पूजन किया। जलाभिषेक करने के उपरांत धूप-दीप जलाकर भोलेशंकर की आरती की गई। कई मंदिरों में श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद बांटा गया। कुछ श्रद्धालुओं ने मंदिरों में खीर-हलवा आदि का प्रसाद वितरित किया गया। अंतिम सोमवारी को ले कई शिवालय व मंदिरों में पुष्प श्रंगार व साज सज्जा की गई थी। वहीं मंदिरों के सामने माइक लगाकर भक्ति गीत भी बजाई गई। इसके अलावा भजन कीर्तन व प्रसाद वितरण भी किया गया। कई स्थानों पर भंडारों का आयोजन शहर और सहित जिले भर में सावन के अंतिम सोमवार को भंडारे आयोजित किए गए। कुछ जगह खीर-पूरी तो कहीं पर हलुआ-पूरी और सब्जी का वितरण किया गया। अंतिम सोमवारी को लेकर बाजारों में नारियल, केला सहित अन्य प्रसाद व पूजन सामग्री की खूब बिक्री हुई।
अंतिम सोमवारी पर हुआ रूद्राभिषेक : शहर के बाजारटांड मंदिर में पंडित मनोज दास के रूद्राभिषेक कराया गया। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। पंडित मनोज दास ने कहा कि श्रावण मास में रुद्राभिषेक एक प्राचीन मंत्रोच्चारण विधि है जो जीवात्मा और प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा को बढाता है और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है। इससे सभी देवताओं की पूजा भी स्वत: हो जाती है। इससे अभिष्ट कामना की पूर्ति भी होती है। संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नहीं है जो रूद्राभिषेक से प्राप्त नहीं हो सकता। शास्त्रों का बखान करते हुए कहा कि जब रुद्राभिषेक होता है तब प्रकृति फलती-फूलती व प्रसन्न होती है। इसके मंत्रों में असीम शक्ति विद्यमान है जिससे क्षेत्र का कल्याण होता है।