झारखंड: बिंदू सिंह मर्डर केस के पांच दाेषियों को आजीवन कारावास Latehar News
होली की सुबह बारीयातु जागीर निवासी यदूवंशी सिंह के घर के पास उनके भाई बिंदू सिंह का शव मिला था उसके बाद उपरोक्त आरोपियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी।
लातेहार, जासं। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विष्णुकांत सहाय की अदालत नें चर्चित बिंदू सिंह (बारीयातु जागीर) हत्याकांड मामले की सुनवाई के उपरांत हत्या के आरोपी ननकु सिंह उर्फ सकिन्द्र सिंह (26 वर्ष) पिता त्रिवेणी सिंह, सुरेन्द्र सिंह (35 वर्ष), अजय सिंह (41 वर्ष) दोनो पिता स्व गंगेश्वर सिंह, लाल मनी सिंह (36 वर्ष) पिता स्व सुखदेव सिंह, सभी निवासी ग्राम बारीयातु जागीर एवं राजगुप्ता उर्फ आशिष गुप्ता उर्फ अभिषेक गुप्ता (28 वर्ष) पिता उदय साव ग्राम बांसडीह थाना छतरपुर को हत्या का आरोपी साबित होने पर भादवि की धारा 302/34 के तहत सश्रम आजीवन कारावास एवं पांच-पांच हजार रूपये जुर्माना भादवि की धारा 307/34 व 201/34 के तहत पांच-पांच वर्षो की सश्रम कारावास एवं एक-एक हजार रूपये का जुर्माना एवं भादवि की धारा 120 बी के तहत एक वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
मालूम हो कि मृतक के छोटे भाई रोहीत कुमार सिंह पिता रामसेवक सिंह ग्राम बारीयातु जागीर नें लातेहार थाना कांड संख्या 47/16 के तहत हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराया था। दर्ज प्राथमिकी में उन्होनें बताया था कि गत 24 मार्च 2016 होली की रात उसके बडे भाई बिंदू कुमार सिंह अपने साथियों जितेन्द्र प्रसाद, ईश्वरी प्रजापती एवं मनेाज सिंह के साथ गांव के ही अनिल साव के दुकान पर सामान ले रहा था, तभी उपरोक्त आरोपी पिस्तौल के साथ पहुंच गये और फायरिंग करने लगे उक्त फायरिंग में अन्य लोग भाग गये लेकिन उनके भाई बिंदू सिंह मारे गये थे।
प्राथमिकी के अनुसार होली की सुबह बारीयातु जागीर निवासी यदूवंशी सिंह के घर के पास उनके भाई बिंदू सिंह का शव मिला था, उसके बाद उपरोक्त आरोपियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। लातेहार थाना पुलिस नें अनुसंधान में उपरोक्त आरोपियें के उस हत्याकांड में शामिल होने का साक्ष्य पाते हुए आरोप पत्र संख्या 82/16 दिनांक 22.06.2016 को अदालत में समर्पित किया था।
उपरोक्त सभी आरोपी प्रारंभ से ही जेल में बंद थे। अभियोजन पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता दयाशंकर प्रसाद एवं अपर लोक अभियोजक सुधीर कुमार नें मामलें को अदालत के समक्ष पेश किया था। सहाय की अदालत नें उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलाने का तथा जेल में बिताये अवधि को सजा में सामायोजित करने का आदेश पारित किया।